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झारखंड के सोनुवा में सामूहिक नरसंहार, पत्थलगड़ी का विरोध करने पर 7 लोगों की नृशंस हत्या.

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झारखंड के सोनुवा में सामूहिक नरसंहार, पत्थलगड़ी का विरोध करने पर 7 लोगों की नृशंस हत्या.

सिटी पोस्ट लाइव :झारखंड के गुलीकेरा ग्राम पंचायत के बुरुगुलीकेरा गांव में उपमुखिया समेत सात ग्रामीणों के नरसंहार की खबर आ रही है. पत्थलगढ़ी समर्थकों ने पत्थलगढ़ी का विरोध करनेवाले उपमुखिया और अन्य छह ग्रामीणों की सामूहिक हत्या कर दी है. जानकारी के मुताबिक पश्चिम सिंहभूम जिले के गुदड़ी में पत्थलगढ़ी समर्थकों द्वारा पत्थलगढ़ी का विरोध करनेवाले गुलीकेरा ग्राम पंचायत के उपमुखिया समेत सात ग्रामीणों का हत्या कर दी गई. मृतकों में उपमुखिया जेम्स बूढ़ और अन्य छह ग्रामीण शामिल हैं.

खबर के अनुसार   हत्या के बाद अपराधियों ने सभी शव को गांव के पास स्थित जंगल में फेंक दिया. बीते रविवार की घटना बताई जा रही है. गांव के दो अन्य ग्रामीणों के गायब होने की भी बात बताई जा रही है. इन दो ग्रामीणों के भी हत्या किए जाने की आशंका जताई जा रही है.मंगलवार की दोपहर को हत्या की घटना की सूचना मिलने के बाद गुदड़ी थाना पुलिस घटनास्थल पर आज पहुंची. घटनास्थल बुरुगुलीकेरा गांव सोनुआ से 35 किलोमीटर दूर सुदूर जंगल और घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में है. लिहाज़ा पुलिस को यहां जाने से पूरी तैयारी करनी पड़ी. हालांकि इस मामले में किसी भी पुलिस अधिकारी का कोई आधिकारिक बयान अबतक सामने नहीं आया है.

अपने जमीनी हक की मांग को बुलंद करते हुए आदिवासियों ने बीते साल यह आंदोलन शुरू किया था. इसका असर इस बार के चुनाव पर भी काफी देखा गया. माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है क्योंकि पिछले साल मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दबी जुबान पत्थलगड़ी आंदोलन पर निशाना साधा था. उन्होंने यहां तक कहा था कि इस आंदोलन के पीछे देश विरोधी ताकतों का हाथ है.

गौरतलब है कि यह आंदोलन 2017-18 में तब शुरू हुआ, जब बड़े-बड़े पत्थर गांव के बाहर शिलापट्ट की तरह लगा दिए गए. जैसा कि नाम से स्पष्ट है-पत्थर गाड़ने का सिलसिला शुरू हुआ जो एक आंदोलन के रूप में व्यापक होता चला गया. लिहाजा इसे पत्थलगड़ी आंदोलन का नाम दिया गया. इस आंदोलन के तहत आदिवासियों ने बड़े-बड़े पत्थरों पर संविधान की पांचवीं अनुसूची में आदिवासियों के लिए दिए गए अधिकारों को लिखकर उन्हें जगह-जगह जमीन पर लगा दिया. यह आंदोलन काफी हिंसक भी हुआ. इस दौरान पुलिस और आदिवासियों के बीच जमकर संघर्ष हुआ.हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही पत्थरगडी आन्दोलन में शामिल लोगों के खिलाफ दर्ज अपराधिक मामलों को हटा लेने का एलान कर दिया था.

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