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सेहत के लिए शिलाजीत कितना जरुरी और कितना खतरनाक ?

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सेहत के लिए शिलाजीत कितना जरुरी और कितना खतरनाक ?

सिटी पोस्ट लाइव : शिलाजीत के बारे में भला कौन नहीं जानता. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि शिलाजीत बनता कैसे है? शिलाजीत कितना फायदा और कितना नुकशान कर सकता है? शिलाजीत किसके लिए वरदान और किसके लिए जानलेवा है? इन तमाम सवालों का जबाब आपको सिटी पोस्ट देने जा रहा है.

सबसे पहले जानिये कि शिलाजीत मध्य एशिया के पहाड़ों में पाया जाता है. शिलाजीत बहुत सालों तक विभिन्न पहाड़ों की गुफाओं में मौजूद धातुओं और पौधों के घटकों से मिलकर बनता है. जिसके बाद एक निश्चित समय पर उसे निकाल लिया जाता है.शिलाजीत को ढूँढ़ने का काम बड़ा मुश्किल भरा होता है. गगनचुंबी पहाड़ों के ख़तरनाक और मुश्किल रास्तों से इसे पाने के लिए गुजरना होता है.गगनचुंबी पहाड़ों पर शिलाजीत की तलाश का सफ़र ख़तरनाक भी है और मुश्किल भी.शिलाजीत का कच्चा माल जो पहाड़ों से ढूँढ़ते हैं, शहर में वापस आकर ख़ास दुकानदारों को बेचते हैं जो उसे एक ख़ास करीक़े से साफ़ करने के बाद आगे बेचते हैं.

पहाड़ों में शिलाजीत पत्थर के अंदर ही एक ख़ास घटक के रूप में मौजूद होती है. कारीगर इसे पहाड़ों से निकाल कर शहर में उन दुकानदारों को बेचते हैं जो इसकी सफ़ाई और फ़िल्टर का काम करते हैं. उन पत्थरों के बड़े टुकड़ों को  जिन्हें पहाड़ से लाया गया होता है, उसके  छोटे टुकड़े किए जाते हैं और फिर उसे एक बड़ी बाल्टी के अंदर डालकर एक निश्चत मात्रा में पानी मिलाकर बड़े चम्मच से हिलाया जाता है ताकि शिलाजीत अच्छी तरह से उस पानी में घुल जाए.फिर कुछ घंटे बाद पानी की सतह से गंदगी को हटाया जाता है.

इस पानी को एक हफ़्ते तक ऐसे ही रखते हैं. इस दौरन पानी का रंग बिलकुल काला हो चुका होता है, जिसका मतलब होता है कि अब शिलाजीत पत्थरों से पूरी तरह पानी में घुल चुकी है. शिलाजीत वाले पानी से हानिकारक कणों को अलग करना बहुत जरुरी होता है.आम तौर पर लालच, जल्दबाज़ी और पैसा कमाने के चक्कर में लोग इस पानी को सिर्फ़ किसी कपड़े में से छानकर और तीन से चार घंटे के लिए उबालते हैं जिससे वह जल्दी गाढ़ा हो जाता है और इस तरह यह शिलाजीत तैयार हो जाती है. मगर इसका फ़ायदा कम और नुक़सान ज़्यादा है.”

शिलाजीत को ठीक से फ़िल्टर नहीं किये जाने के दो बड़े नुक़सान होते हैं. पहला यह कि कपड़े और जाली के ज़रिये फ़िल्टर करने से हानिकारक तत्व उसमें ही रह जाते हैं. दूसरा यह कि शिलाजीत को पानी में उबालकर गाढ़ा करने से उसके सारे खनिज तत्व समाप्त हो जाते हैं जिसका कोई फ़ायदा नहीं होता.इसे कायदे से 40 दिनों की प्रक्रिया के जरिये ही शुद्ध किया जाता है. फिर फ़िल्ट्रेशन के बाद शिलाजीत के पानी को एक शीशे से बने हुए ख़ानों में रखते हैं और तक़रीबन एक महीने तक उसका पानी सूखता रहता है जिस दौरान वह उस बरतन में और भी शिलाजीत का पानी डालते रहते हैं ताकि वह भर जाए. और इस तरह से शिलाजीत तैयार होती है जिसे पैकिंग के बाद दुकानादारों को सप्लाई किया जाता है.

शिलाजीत की का मेडिकल टेस्ट भी होता है. मेडिकल टेस्ट के जरिये ही पता चलता है कि शिलाजीत कितना शुद्ध है और सेहत के लिए फायदेमंद है या नुक्शान्देह. शिलाजीत में 86 प्रकार के खनिज तत्व मौजूद होते हैं.10 ग्राम शिलाजीत 300 रुपये से लेकर 600 रुपये तक बिकती है. शिलाजीत की माँग और उसकी उपलब्धता के आधार पर उसकी क़ीमत तय होती है.

असली और नक़ली शिलाजीत के बीच फर्क करना बहुत मुश्किल होता है.कुछ लोग शिलाजीत की पहचान उससे आने वाली विशेष गंध से करने का दावा करते हैं. लेकिन ये सही तरीका नहीं है क्योंकि उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए लोग अक्सर उसमें आटा वग़ैरह भी इस्तेमाल करते हैं. और अगर उसमें भी शिलाजीत की थोड़ी मात्रा मिला दी गई हो तो उसमें से भी वैसी ही गंध आएगी जो असली शिलाजीत से आती है.असली शिलाजीत की पहचान केवल टेस्ट रिपोर्ट के जरिये ही की जा सकती है.

ये आम भ्रान्ति है कि शिलाजीत वियाग्रा की तरह काम करती है लेकिन ये सच नहीं है. शिलाजीत में मौजूद खनिज तत्व शरीर की कमी को पूरा करते हैं “जिसकी वजह से शरीर की गर्मी बढ़ने की वजह से रक्त संचार तेज़ हो जाता है. लेकिन यह वियाग्रा की तरह काम नहीं करता.इसमें आयरन, ज़िंक, मैग्नीशियम समेत 85 से अधिक खनिज तत्व पाए जाते हैं. इन सभी खनिज तत्वों की वजह से मनुष्य के शरीर में रक्त का संचार बढ़ जाता है और प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है.

शिलाजीत के इस्तेमाल से मनुष्य के तंत्रिका तंत्र को ठीक रखने में भी सहायता मिलती है, जिसकी वजह से यह अलज़ाइमर, डिप्रेशन और दिमाग़ के लिए लाभदायक होता है.चूहों पर किए गए टेस्ट से उनके शूगर लेवल पर भी सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं इस वजह से यह शूगर के इलाज में भी सहायक है. हड्डी और जोड़ के लिए भी बहुत लाभदायक है.अगर ठीक ढंग से शिलाजीत का सही मात्र में इस्तेमाल नहीं होता है और अगर वह ठीक ढंग से शोधित न हो तो काफी नुक्शान्देह साबित हो सकता है.इसका अधिक इस्तेमाल भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.

इसे सूखे चने के दाने के बराबर और गर्म दूध के साथ मिलाकर शिलाजीत का सेवन करना चाहिए. पचास साल के ज़्यादा उम्र के लोग रोज़ाना दो-तीन महीने तक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. जवान लोग सप्ताह में दो दिन से ज़्यादा इस्तेमाल न करें. ब्लड प्रेशर के मरीज़ इसका इस्तेमाल बिलकुल भी न करें क्योंकि जब 86 खनिज तत्व पेट के अंदर जाते हैं तो वैसे भी ब्लड प्रेशर थोड़ा बढ़ जाता है.

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