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आरएसएस के बारे में जानकारी चाहते हैं नीतीश! बीजेपी एमएलसी ने कहा दोस्ती अब अंतिम सांस ले रही है’

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आरएसएस के बारे में जानकारी चाहते हैं नीतीश! बीजेपी एमएलसी ने कहा दोस्ती अब अंतिम सांस ले रही है’

सिटी पोस्ट लाइवः आज सुबह से मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बिहार के राजनीतिक गलियारों में यह खबर तैर रही है कि सीएम नीतीश कुमार ने आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों के पदाधिकारियों के विषय में विस्तृत जानकारी मांगी है।’ इस खबर पर बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बकायदा एक वीडियो जारी किया है और कहा है कि अभी कुछेक प्रतिष्ठित न्यूज पोर्टल पर मैंने विशेष शाखा के द्वारा 28 मई को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उससे जुड़ी संस्थाओं के पदाधिकारियों के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने का आदेश की प्रति और उस पर पत्रकारों की प्रतिक्रिया को देखा।

मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ। मैंने 19 मई को लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मध्यान्ह के उपरांत ही माननीय मुख्यमंत्री जी के अवांछित वक्तव्य सुना था, उन्होंने जितनी मजबूती से भारतीय जनता पार्टी के मुख्य मुद्दों राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक इत्यादि, विषयों पर अपने विचार रखे और वह भी तब जबकि लोकसभा का चुनाव प्रक्रिया अंतिम सांसे ले रहा था। और कुछ घंटों के भीतर ही एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हो जाने थे, बड़ी सफाई से उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। तभी मैंने उनके हिडेन एजेंडा के विषय में भी एक वक्तव्य दिया था। ऐसा प्रतीत हुआ था कि मैं शायद विद्रोह कर रहा हूं। पर पुनः 24 जून को बलियावी जी ने कुछ चैनलों पर तीन तलाक के मुद्दे पर जिस तरह के वक्तव्य दिए मुझे पुनः नीतीश जी के स्टाइल पर अपनी बात रखनी पड़ी। केसी त्यागी जी को बहुत बुरा लगा था। उन्होंने कारण बताओ नोटिस जारी करने का सलाह दिया था। मैंने तो कारण बता दिया था कि जब तक नीतीशजी परोक्ष रूप से वक्ताओं और विधायकों के माध्यम से अपना एजेंडा मीडिया में प्लांट करते रहेंगे तब तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन काफी हद तक प्रभावित होता रहेगा।

मैंने अपनी बात रखी। मुझे बड़ी खुशी हुई उस के बाद इस तरह के वक्तव्य आने बंद हो गए। लेकिन आज इस खुलासे ने मेरे उन्हीं बातों की पुष्टि की है जिसके लिए मुझे विद्रोही या बागी माना गया था। 30 जून को नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार ने शपथ ग्रहण किया था। संभवत 28 जून को ही नितीश जी को पता चल गया था कि उन्हें इस मंत्रिमंडल में हिस्सा नहीं लेना है और तभी आनन-फानन में विशेष शाखा नया नोटिस जारी किया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े हुए संस्थानों के प्रति इस तरह का बर्ताव क्या भारतीय जनता पार्टी के साथ उनके दोस्ताना रवैए का परिचायक है? क्या इससे इस खुलासे से गठबंधन के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा? बड़े ही ज्वलंत प्रश्न हैं। समय इसका उत्तर देगा।

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