‘पीके’ ने कहा था जो नीतीश के दोस्त होंगे उन्हीं का प्रचार करूंगा, क्या ममता और नीतीश अब दोस्त हैं?
सिटी पोस्ट लाइवः जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की बाद में यह खबर आयी कि वे पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के रणनीतिकार की भूमिका निभाएंगे। खबर सामने आने के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था। जेडीयू से यह सवाल पूछा जाने लगा कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अगर बीजेपी के सबसे बड़ी दुश्मन ममता बनर्जी की राह आसान करने जा रहे हैं तो क्या यह सब नीतीश कुमार की मर्जी से हो रहा है?
सीएम नीतीश कुमार ने एक प्रेस काॅन्फ्रेंस की और इस सवाल का जवाब दिया कि प्रशांत किशोर जो कर रहे हैं उससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। लेकिन सीएम नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बयान में विरोधाभास नजर आता है। प्रशंात किशोर ने इस पूरे विवाद से काफी पहले एक चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा था कि मैं उसी पार्टी के लिए प्रचार करूंगा जो नीतीश की दोस्त होगी। पीके ने कहा था कि किसी भी राजनीतिक दल को मेरी मदद चाहिए तो उसकी दो प्रचार की अनिवार्यता है। पहली यह कि जेडीयू के साथ उसकी दोस्ती होनी चाहिए और दूसरी यह कि वो युवाओं को मौका दे।
जाहिर है भले हीं प्रशांत किशोर ने यह बयान इस पूरे विवाद से पहले दिया हो लेकिन इससे इतना जरूर समझा जा सकता है कि वो काफी पहले स्पष्ट कर चुके हैं कि बिना नीतीश या जेडीयू की मदद के वे किसी की मदद नहीं करेंगे। जाहिर है संकेत यह भी है कि ‘पीके’ अगर ममता बनर्जी की मदद करने जा रहे हैं तो उसमें संभवतः नीतीश कुमार और जेडीयू की मौन सहमति भी है। इसलिए यह सवाल बेहद वाजिब है कि क्या नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के बीच दोस्ती हो गयी है या हो रही है?
जवाब पर भी खामोशी है लेकिन सियासत में संकेतों के जरिए भी बहुत कुछ समझा जाता है। संकेत को जरिए समझा जाना भी चाहिए क्योंकि ममता बनर्जी के खिलाफ ट्वीट करने पर जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक को इस्तीफा भी देना पड़ा है।’जाहिर है बीजेपी की बेचैनी बढ़ेगी क्योंकि संकेत तो बीजेपी भी समझती है।
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