“विशेष” : हत्या से फिर दहला सहरसा, एक महीने के भीतर तीसरी हत्या
सिटी पोस्ट लाइव : बात-बात पर जाति-जाति खेलने वाले पुलिस अधिकारियों की अकर्मण्यता अब पराकाष्ठा पर है ।किसकी हत्या कब हो जाये,कहना नामुमकिन है ।बीती देर रात हथियारबंद अपराधियों ने एक 46 वर्षीय शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी।घटना सदर थाना क्षेत्र के नया बाजार बायपास रोड के समीप की है ।मृतक का नाम सुनील कुमार सिंह है जो नया बाजार के रहने वाले थे ।घटना के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक बीती देर रात मृतक सुनील सिंह पैदल कहीं जा रहे थे ।इसी दौरान हथियारों से लैस कुछ अपराधियों ने सुनील सिंह को नजदीक से गोली मारकर फरार हो गए ।
मृतक को गोली छाती में लगी थी ।घटना के तुरन्त बाद आसपास के लोग और परिजनों ने आनन-फानन में जख्मी को सदर अस्पताल लाया,जहाँ चिकित्सकों ने सुनील सिंह को मृत घोषित कर दिया ।इस हत्या की वारदात को लेकर मृतक के भाई अनिल कुमार सिंह ने पल्लव सिंह,गोलू सिंह और बौआ नाम के तीन युवकों पर हत्या का आरोप लगाया है ।परिजनों की मानें तो इससे पूर्व भी किसी बात को लेकर मृतक सुनील सिंह का इनलोगों से विवाद हुआ था ।
हालांकि किस बात को लेकर विवाद हुआ था इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है और ना ही इस बाबत परिजन ही कुछ बोल पा रहे हैं ।घटना की सूचना मिलने पर सदर एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी और सदर एसएचओ राजमणी दल-बल के साथ मौके पर पहुँच कर छानबीन में जुट गए ।पुलिस ने मृतक के शव को कब्जे में लेकर देर रात ही उसका पोस्टमार्टम करवा कर शव को परिजनों को सौंप दिया ।पुलिस ने पोस्टमार्टम में बहुत तेजी इसलिए दिखलाई की कहीं कोई हंगामा नहीं हो ।परिजनों के बयान के आधार पर पुलिस ने अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए रात से ही छापेमारी शुरू कर दी थी ।
दौर ए हत्या का सिलसिला बदस्तूर जारी है। ये सहरसा है साहेब। यह अपराधियों का शहर है। यहाँ के पुलिस अधिकारी चर्चित, साफ नीयत और आसमानी वजूद वालों पर एकतरफ तोहमत लगाते हैं, तो दूसरी तरफ उनके फेसबुक अकाउंट खंगालते हैं। इनसे अपराध रुकता नहीं है लेकिन ये अपराधी जरूर पकड़ते हैं। इन अधिकारियों के पास हत्या या अन्य संगीन अपराध को पहले से रोकने के लिए, ना तो कोई रणनीति, ना कोई सूचना तंत्र,ना ही सटीक-सधे लोगों से सोहबत और ना ही कोई ईमानदार पहल की गुंजाईश है। एक महीने के भीतर जिला मुख्यालय में तीन हत्याएँ,इस बात की तकसीद कर रही हैं कि फ्रेम में खाकी कहीं भी नहीं है। ये पुलिस वाले अपराध रोकने की जगह,मोटी रकम वसूली के शातिर खिलाड़ी हैं। अगर इनसे मिलो,तो ये ढ़ीठ पुलिस अधिकारी,धर्मात्मा की तरह बातें करते हैं। पहले कुंदन सिंह, फिर राधे ठाकुर और बीती देर रात सुनील सिंह की हत्या कर दी गयी। तीनों शख्स की हत्या गोली मारकर की गई है। पुलिस अधिकारियों की मेहरबानी से आजकल, नौनिहालों के हाथ में भी पिस्टल,मैगजीन और जिंदा कारतूस हैं।
आखिर इस तरह से जिला मुख्यालय के भीतर हत्या का अंतहीन सिलसिला जारी हो और पुलिस का कोई गुप्त तंत्र काम नहीं कर रहा हो,तो ऐसे पुलिस अधिकारियों से किसी घटना को रोकने की उम्मीद ही बेमानी है। सहरसा की पुलिस और पुलिस अधिकारी घटना के बाद वाले कर्मी हैं। शायद ये पगार घटना के बाद तफ्तीश करने की लेते हैं। वैसे बिहार का सहरसा ऐसा जिला है,जहां पहले किसी विभाग के अधिकारी आना नहीं चाहते हैं और जब वे आ गए तो, फिर जाना नहीं चाहते हैं। यहाँ वेतन से कई गुणा ज्यादा प्रतिमाह घुस की कमाई है। सरकारी वेतन अलग और जनता वेतन अलग।
जिस जात के अधिकारी हैं, उस जात के लोग,कुछ नेता, तथाकथित समाजसेवी और पत्रकार, अधिकारियों को घुस की रकम दिलाने में बिचौलिए की भूमिका निभाते हैं। वैसे इस काम में पुलिस अधिकारियों के कनीय कर्मी भी जी-जान से जुटे रहते हैं। अब ईश्वर जाने हत्या किसने की है? वैसे पुलिस अधिकारी, इस मामले में कम से कम उनको तो जेल भेजकर रहेंगे, जिनके नाम परिजनों ने एफआईआर में लिखाए हैं। ईश्वर अगर सही मायने में निरीह जनता की हिफाजत चाहते हैं, तो वे जनता को अपराधियों के कहर और पुलिस के बर्बर रवैये से बचाएं।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष रिपोर्ट”
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