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मुहब्बत के महीने में मुहब्बत की कहानी, एक आईपीएस अफसर ने प्यार के नाम लिख दी जिंदगानी

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मुहब्बत के महीने में मुहब्बत की कहानी, एक आईपीएस अफसर ने प्यार के नाम लिख दी जिंदगानी

सिटी पोस्ट लाइवः फरवरी को मुहब्बत का महीना माना जाता है। यूं तो मुहब्बत किसी महीनें का मुहताज नहीं होता क्योंकि प्यार सरहद भी लांघ जाता है और मजहब दरो दीवार भी लांघता रहा है इसलिए प्यार को किसी दायरे में समेटना नामुमकिन है ठीक उसी तरह प्यार करने का कोई वक्त मुकर्रर नहीं होता, मुहब्त तारीखों की मुहताज नहीं होती वो बस अहसासों से परवान चढ़ती रहती है इसलिए तो किसी शायर ने कहा है कि मुहब्बत अहसासों की कहानी है। प्यार के कई उदाहरण दुनिया में मौजूद हैं जिनसे मुहब्बत का मतलब समझा जा सकता है या यह भी समझा जा सकता है कि मुहब्बत सिर्फ मुहब्बत नहीं सिखाती बल्कि त्याग और बलिदान और सेवा के संस्कार भी देती है। वेलेंटाइन डे पर वेलंेटाइन का मतलब समझना बहुत जरूरी है। अगर आप अपने प्यार को वेलेंटाइन कहते या समझते हैं तो समझिए कि रियल वेलेंटाइन क्या होता है। बिहार के चर्चित और बेहद ईमानदारी छवि वाले आईपीएस अधिकारी राज्वर्द्धन सिंह राठौर से सीखा जा सकता है कि प्यार का मतलब क्या होता है। अपने वेलेंटाइन के लिए इन्होंने जो किया है वो करना आसान नहीं इसलिए तो प्यार भी आसान नहीं है। प्यार निस्वार्थ होता है, प्यार निश्छल और निष्कपट होना चाहिए और ऐसा हीं प्यार किया है राज्यवर्द्धन शर्मा ने। राज्यवर्द्धन शर्मा ऐसे रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं जिनकी कोमा में पड़ी पत्नी के लिए , उनके द्वारा पत्नी की अहर्निश की जा रही सेवा वेलेंटाइन-डे मनाने के पीछे का असली मकसद बताती है। लगभग साढ़े बारह वर्षों से कोमा में पड़ी पत्नी जयश्री शर्मा के लिए उनके द्वारा पत्नी की जा रही सेवा उनके लिए सालों वेलेंटाइन-डे के समान तो है ही, नई पीढ़ी के युवाओं और युवा दंपत्तियों के लिए एक प्रेरणा और उदाहरण भी है। ये अधिकारी हैं 1980 बैच के बिहार कैडर के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी राज्यवर्धन शर्मा। पुलिस विभाग में रहते हुए राज्यवर्धन शर्मा को एक कड़क पर इमानदार छवि वाला अधिकारी माना जाता रहा पर इस अधिकरी के सीने में कितना दर्द छिपा है यह कोई नहीं जानता। यहां तक कि आज तक उन्होंने अपना व्यक्तिगत दर्द और व्यक्तिगत परेशानियों को भी किसी से शेयर नहीं किया। पटना में ही पदस्थापना के दौरान वर्ष 2007 में राज्यवर्धन शर्मा की धर्मपत्नी जयश्री शर्मा को पारालाइसिस अटैक हुआ जिसके कुछ दिन बाद ब्रेन हेमरेज के कारण वह कोमा में चली गईं। ब्रेन हेमरेज के कारण जयश्री शर्मा बोलने, सोचने और चलने से लाचार हो गईं। उस वक्त राज्यवर्धन शर्मा का एकमात्र पुत्र व पुत्री अमरिका में पढ़ाई कर रहे थे।

बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब नहीं हो इस कारण राज्यवर्धन शर्मा ने तब बच्चों को इसकी कोई जानकारी दिए बिना इस विश्वास के साथ पत्नी की सेवा में जुटे रहे कि आज न कल उनकी पत्नी ठीक हो जाएगी। पटना के जोनल आईजी सहित कई प्रमुख पदों पर रहते हुए राज्यवर्धन शर्मा 30 सितम्बर 2011 को एडीजी, सीआईडी के पद से रिटायर्ड हुए। सरकार ने ने उनके सेवाकाल में उनकी ईमानदारी, योग्यता और काम के प्रति पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए 8 नवम्बर 2011 को उन्हें बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) जैसे महत्वपूर्ण आयोग का सदस्य बनाया जिस पद पर। पर सरकारी काम के बोझ के वावजूद पत्नी सेवा राज्यवर्धन शर्मा की दिनचर्या बनी रहीं जो क्रम अबतक जारी है। सरकारी सेवा काल में सुबह उठकर बिछावन पर ही कोमा में पड़ी अपनी पत्नी को नित्यकर्म से फारिग करवाना, उनका मुंह हाथ धोकर भोजन नली में लगे पाइप के सहारे पेट तक तरल पदार्थ पहुंचाने के बाद ही राज्यवर्धन शर्मा कार्यालय के लिए निकलते रहे। दोपहर लंच टाइम और शाम में वापस आवास आने के बाद उनका अधिकांश समय पत्नी की सेवा में ही बीतता रहा।

पत्नी को कोमा स्थिति में रहते हुए राज्यवर्धन शर्मा ने अमरिका में लेक्चरार अपने पुत्र और वहीं चिकित्सक अपनी बेटी की शादी पटना से की पर दुर्भाग्य की कोमा में पड़ी उनकी पत्नी न तो अपनी बहू के बारे में कुछ जान सकीं और न ही दामाद के बारे में और ना ही उनका चेहरा देख सकीं। राज्यवर्धन शर्मा की पत्नी जयश्री आज भी उसी स्थिति में हैं जिस स्थिति में वह साढ़े12 साल पूर्व थीं। पर एक पति के रुप में राज्यवर्धन शर्मा आज भी अपने दायित्वों और पतिधर्म का पालन कर रहे हैं। राज्यवर्धन शर्मा जब घर में नहीं होते तो उनकी बूढ़ी मां और एक युवक जो मेडिकल टेक्नीशियन भी है राज्यवर्धन शर्मा की पत्नी की सेवा और उनकी देख-रेख करती हैं। पिछले बारह वर्षों से भी अधिक समय से बिछावन पर जिन्दा लाश बनकर रह रही उनकी पत्नी जयश्रज्ञी शर्मा और राज्यवर्धन शर्मा बिहार ही नहीं पूरे देश और विश्व की युवा पीढ़ी के साथ साथ वैसे दंपत्तियों के लिए एक मिशाल हैं जो सही मायने में ‘वेलेंटाइन’ का अर्थ समझना चाहते हैं। पिछले साढ़े बारह वर्षों से कोमा में पड़ी एक नेक दिल इंसान की पत्नी अगर आज भी जिन्दा हैं तो उसका कारण है पति द्वारा की जा रही अनवरत सेवा और पत्नी के प्रति उनका अपार स्नेह और प्यार और समर्पण ही है!

पत्नी की गंभीर बिमारी और बेटा-पतोहू व बेटी-दामाद के विदेश में रहने के कारणकिस तरह पत्नी की सेवा करते वे अपना दिन काटते हैं के सवाल पर राज्यवर्धन शर्मा कहते हैं कि ‘पत्नी की हालत देख दुख तो बहुत होता है पर अपना गम और दर्द यह सोचकर भूल जाता हूं कि शायद भगवान ने जयश्री की सेवा करने के लिए हमारी जोड़ी बनायी थी।’रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी कहते हैं कि ‘जब पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहार बाजपेयी, पूर्व रक्षा मंत्री स्व. जार्ज फर्णांडीस की बिमारी के बारे में सोचता हूं तो काफी कुछ दर्द भूल जाता हूं।’ उन्होंने कहा कि ‘कोई भी व्यक्ति जीवन में इस तरह का तकलीफ नहीं चाहता। पर उपर वाले की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती।’ इस वेलेंटाइन-डे के अवसर पर ऐसे अधिकारी के जज्बे को हम सलाम करते हैं और यह प्रार्थना करते हैं कि कोई चमत्कार हो और एक जिंदादील रिटायर्ड अधिकारी और उनके परिवार के चेहरे की खुशियां फिर से वापस लौट आए।

-अभिषेक

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