सहरसा में 350 कार्टून विदेशी शराब बरामद, दो तस्करों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
दो बड़ी गाड़ी, दो बाईक सहित दो कारोबारी चढ़े पुलिस के हत्थे
सहरसा में 350 कार्टून विदेशी शराब बरामद, दो तस्करों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
सिटी पोस्ट लाइव, स्पेशल : पहले जब शराब की बड़ी खेप पकड़ाती थी, तो लगता था कि यह पुलिस और उत्पाद विभाग की मुस्तैदी और कर्तव्यनिष्ठा का फलाफल है लेकिन अब लग रहा है कि यह पुलिस और उत्पाद विभाग की लापरवाही और कर्तव्य से विमुख होने का नतीजा है। बीते दिनों उत्पाद विभाग के गाड़ी चालक पर शराब बेचवाने का गम्भीर आरोप लगाकर आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम तक किया था। वही बीती देर रात सहरसा के बनगाँव थाना के बरियाही बाजार के रहने वाले चन्दन पासी के घर पर एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी और बनगाँव थाना के एसएचओ सरवर आलम ने बड़ी मात्रा में पुलिस बल के साथ छापेमारी की।
वहीं छापेमारी के दौरान मौके से 350 कार्टून विदेशी शराब की बरामदगी हुई। देर रात चली इस छापेमारी में चन्दन पासी मौके से फरार होने में कामयाब हो गया जबकि दो कारीबारी मणिशंकर सिंह और मोनू आलम को पुलिस ने दबोचने में कामयाबी हासिल की। मौके से एक सेंट्रो कार, एक बोलेरो गाड़ी और दो बाइक भी बरामद किया गया है। 350 कार्टून में 3017 लीटर शराब बन्द है। बीते तीन महीनें की बात करें तो सहरसा जिले के अंदर पुलिस और उत्पाद विभाग के द्वारा 35 हजार लीटर से ज्यादा सिर्फ अंग्रेजी शराब बरामद की गई है। हजारों लीटर देशी शराब अलग से बरामद की गई है। कई कारोबारियों को जेल भी भेजा गया है।
बड़ा सवाल यह है कि इतनी भारी मात्रा में शराब कहाँ से आ रही है और बिक कैसे रही है? शराबबंदी कानून बने महीनों गुजर गए हैं।आखिर पुलिस अधिकारियों और उत्पाद विभाग के सूत्र और सूचनातंत्र इतने कमजोर क्यों हैं? ज्यादातर शराब की बरामदगी रिहायशी इलाके में होती है। हमारे सूचना तंत्र के मुताबिक कोसी दियारा और पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर अरबों की शराब छुपा कर रखी गयी है लेकिन वहां तक पहुँचने की हिम्मत पुलिस और उत्पाद विभाग को नहीं है। अब शराब बरामदगी से कामयाबी की खुशबू की जगह नाकायाबी की बदबू आ रही है।
बता दें आजतक एक भी बड़ा शराब कारोबारी नहीं पकड़ा जा सका है। चौथे और पांचवें दर्जे के कारोबारियों को पुलिस और उत्पाद विभाग वाले दबोचकर जेल भेज रहे हैं। यही नहीं बहुतों कारोबारियों से लाखों का नजराना लेकर उनके कारोबार से नजर हटाई भी जा रही है।
हम ताल ठोंककर कहते हैं कि पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारी अगर सच में ईमानदार हो जाएं, तो बिहार में शराबबंदी सौ फीसदी सफल होकर रहेगी। लेकिन क्या करें बाबू हाकिमों को महानगरों में मंहगे फ्लैट और मंहगी गाड़ी खरीदने का शौक भी अलग से है।
सहरसा से पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट
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