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बिहार के इस गुप्त काली मंदिर में पूरी होती है भक्तों की हर मुराद, गुफा में है मंदिर

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बिहार के इस गुप्त काली मंदिर में पूरी होती है भक्तों की हर मुराद, गुफा में है मंदिर

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के पूर्णिया में भी माता वैष्णो देवी की तरह  माता का गुप्त काली मंदिर गुफा में है. इस गुफा में माँ दुर्गा के अलावा कई देवी देवताओं का मंदिर है. मान्यता है कि ये 52 वां शक्तिपीठ है जहां माता के पिण्ड की पूजा होती है. गुप्त काली मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर में 108 देवी देवताओं की प्रतिमा है. कहते हैं यहां पर भक्तों की मुराद पूरी होती है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिये आपको माता वैष्णो देवी के रास्ते में पडने वाले अर्घ कुमारी की तरह संकीर्ण गुफा से होकर गुजरना पड़ेगा. गुफा के बाद माता वैष्णों देवी का मंदिर है जहां मां वैष्णो देवी समेत दसों महाविद्याओं का वास है. उसके बाद नीचे गुप्त काली मंदिर है जहां माता का पिण्ड है.

मान्यता है कि ये 52 वां शक्तिपीठ है जहां माता के पिण्ड की पूजा होती है. गुप्त काली मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर में 108 देवी देवताओं की प्रतिमा है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर भक्तों की मुराद पूरी होती है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिये आपको माता वैष्णो देवी के रास्ते में पडने वाले अर्घ कुमारी की तरह संकीर्ण गुफा से होकर गुजरना पड़ेगा. गुफा के बाद माता वैष्णों देवी का मंदिर है जहां मां वैष्णो देवी समेत दसों महाविद्याओं का वास है. उसके बाद नीचे गुप्त काली मंदिर है जहां माता का पिण्ड है.

मंदिर के पुजारी भक्त शंकर पंडित का कहना है कि शिवजी ने जब सती के कई टुकड़े किए तो 52वां टुकड़ा यहीं गिरा. इसीलिए ये माता का शक्तिपीठ है. इस मंदिर में माता के पिण्ड की पूजा होती है. इस मंदिर से सटे मंदिर में माता की सात बहनों का वास है. यहां मां ज्वाला देवी स्थान से लाई गई ज्वाला अखंड ज्योति हमेशा जलती रहती है.उन्होंने कहा कि माता खुद यहां भक्त के शरीर में प्रवेश करती है और जैसा निर्देश देती है उसी तरह यहां पूजा अर्चना होती है.

शक्तिपीठ और माता के प्रति श्रद्धा के कारण यह देव स्थल इस क्षेत्र के लिये आस्था का केन्द्र बन गया है. यहां नेपाल, बंगाल समेत आसपास के भक्तों की भीड लगी रहती है. पुजारी शंकर पंडित की माने तो यहां पर सैकड़ों वर्षों से पूजा अर्चना होती है. मंदिर के सेवकों के अनुसार  यह मंदिर माता का 52वां शक्तिपीठ है. इस मंदिर में जहां एक सौ आठ देवी देवताओं की भव्य प्रतिमा है वहीं काफी संख्या में घंटी भी लगा है.  शक्तिपीठ और माता के प्रति श्रद्धा के कारण यह देव स्थल इस क्षेत्र के लिये आस्था का केन्द्र बन गया है. यहां नेपाल, बंगाल समेत आसपास के भक्तों की भीड लगी रहती है.

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