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शराबियों और शराब के अवैध कारोबारियों को सरकार नहीं दिला पा रही सजा

1 लाख 33 हजार 339 लोग शराब पीने और बेचने के आरोप में गिरफ्तार हुए लेकिन सजा सिर्फ 141 को

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शराबियों और शराब के अवैध कारोबारियों को सरकार नहीं दिला पा रही सजा

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर मुख्यमंत्री बेहद गंभीर हैं. अपनी हर बैठक में वो शराबबंदी को प्राथमिकता पर रखते हैं. शराबबंदी को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस और उत्पाद विभाग की टीम लगातार छापेमारी कर शराब की खेप वरामद कर रही है. लेकिन जितनी बड़ी कारवाई हो रही है, उतना ही बड़ा चेहरा शराब के अवैध कारोबार का सामने आ रहा है. सबसे बड़ा सवाल शराब के अवैध कारोबारियों की इतने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी हो रही है , अवैध शराब की खेप पकड़ी जा रहे है फिर भी अवैध शराब का कारोबार थमने का नाम क्यों नहीं ले रहा. दरअसल, कारवाई तो हो रही है. शराव के अवैध कारोबारी पकडे भी जा रहे हैं, लेकिन उन्हें पुलिस और उत्पाद विभाग सजा नहीं करवा पा रहा है.

आंकड़े तो यहीं बता रहे हैं कि पुलिस और उत्पाद विभाग अवैध शराब के कारोबार में शामिल लोगों को सजा दिलावने में फिसड्डी साबित हो रही है.दो वर्ष से ज्यादा की अवधि में दर्ज इन मुकदमों में 30 हजार 711 यानी 51.88 प्रतिशत मामले पीनेवालों से संबंधित है. वहीं शराब बेचने के आरोप में 14 हजार 705 मामले दर्ज किए गए. इसका प्रतिशत 33.26 है जबकि शराब जमा करने और उसके परिवहन से जुड़े मामलों का प्रतिशत क्रमश: 8.90 और 5.96 प्रतिशत है.जाहिर सी बात है कि सरकार का महकमा खुद सरकार की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया लेकिन सतारूढ़ दल इसे अपने नजरिये से देखना ज्यादा मुनासिब समझ रहा. लिहाजा उसे कही कोई कमी नजर नहीं आ रही.ये हाल तब है जबकि सरकार ने स्पेशल कोर्ट का गठन कर आरोपियो को अधिक से अधिक सज़ा दिलाने की ठानी थी लेकिन स्पेशल कोट का प्रस्ताव  फाइलों की शोभा बढाने में ही लगा है.

उत्पाद विभाग द्वारा दर्ज मुकदमों में सर्वाधिक मामले शराब पीने से जुड़े हैं. बिहार में शराबबंदी कानून के तहत अप्रैल 2016 से 12 सितंबर 2018 तक एक लाख 33 हजार, 339 मामले दर्ज किए गए हैं. 52 हजार, 185 मामले उत्पाद विभाग ने दर्ज कराए जबकि पुलिस ने 81 हजार, 154 प्राथमिकी दर्ज की है. इस दौरान उत्पाद विभाग और पुलिस ने मिलकर एक लाख 61 हजार 620 व्यक्तियों को गिरफ्तारी की. लेकिन जहांतक सजा दिलाने की बात है शराब पीने और बेचने वाले 1 लाख 33 हजार 339 लोगों पर मुकदमा तो हुआ लेकिन  सजा सिर्फ 141 को हो पाई है. सितंबर महीने तक तक शराब पीने और इसकी तस्करी के जुर्म में सिर्फ 141 लोगों को सजा हुई.

यानी लगभग डेढ़ लाख लोग शराब पीने और बेचने के आरोप में पकडे तो गए लेकिन सजा हुई केवल 52 शराबियों और 89 शराब के कारोबारियों को ही.जब कारोबार चौगुना मुनाफे का हो और पकडे जाने पर सजा की गारंटी न हो तो भला जेल जाने भर के डर से शराब के अवैध कारोबारी कहाँ डराने वाले हैं. जाहिर है सजा नहीं हो पाने की वजह से लोग पकडे जाने के बाद भी शराब पीना और बेचना नहीं छोड़ रहे हैं.जाहिर है उत्पाद और पुलिस विभाग द्वारा शराबबंदी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा और दिखाने के लिए गिरफ्तारियां हो रही हैं.

 

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