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पटना पुलिस का ईकबाल ख़त्म, अब एक गावं की महिला हिला दे रही है थाना

महिला ने लगाया है पटना के थाने में सिपाही द्वारा गंदी हरकत करने का आरोप, पुलिस बन रही है बेचारी

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पटना पुलिस का ईकबाल ख़त्म, अब एक गावं की महिला हिला दे रही है थाना

लाइव सिटीज, पटना : राजधानी पटना सबसे वीआइपी माने जानेवाले थाने में ही एक महिला के साथ छेड़खानी हो गई है. महिला का आरोप है थाने में वो साफ़ सफाई का काम करती है. आज जब वह थानेदार के दफ्तर की सफाई कर रही थी, एक सिपाही ने उसके साथ गंदी हरकत की. इस आरोप के बाद पुलिस महकमे में ऊपर से लेकर नीचे तह हंगामा मच गया. क्योंकि मामला थाने में छेड़खानी की थी. तुरत मामले की जांच का जिम्मा डीएसपी लॉ एंड आर्डर को दिया गया.

डीएसपी साहब ने तुरत जांच शुरू कर दी .कुछ ही घंटे में रिपोर्ट भी दे दी. अपनी रिपोर्ट में महिला के आरोप को झूठा ठहरा दिया. कहा कि यह महिला अक्सर थाने पहुँच जाती है. अपनी जांच में डीएसपी ने पूरे मामले को ही गलत पाया है. डीएसपी का तर्क है कि महिला ने जो आरोप सिपाही के उपर लगाया है, वो पूरी तरह से गलत है. महिला शादीशुदा है. मूल रूप से आरा की रहने वाली है. वो बार—बार थाना पहुंच जा रही थी. कभी नौकरी मांगने के नाम पर तो कभी मोबाइल चार्ज करने के नाम पर. उसे थाना से समझा—बुझाकर भेजा गया था. पुलिस का कहना है कि थानेदार के ऑफिस  की सफाई सिपाही खुद कर रहा था. उसी दौरान वो महिला वहां पहुंची थी. डीएसपी की मानें तो महिला ने सिपाही के खिलाफ जो आरोप लगाया है, वो उनकी जांच में गलत साबित हुआ है.

लेकिन सवाल ये उठता है कि आमतौर पर आम आदमी थाने में जाने से ही डरता है. फिर यह महिला कौन है जो थाने में हर रोज पहुँच कर पुलिसवालों को परेशान करती थी. क्या पुलिस इतना शरीफ हो गई है जिसे एक महिला परेशान कर रही थी. चलिए थोड़ी देर के लिए इसे सही भी मान लें तो सवाल ये उठता है कि महिला क्या ये भी झूठ बोल रही है कि वह थाने में साफ़ सफाई का काम करती है? क्या कोई महिला थाने में साफ़ सफाई का काम करने का झूठा दावा कर सकती है?

क्या पटना पुलिस का ईकबाल इतना ख़त्म हो गया है कि एक महिला थाने में पहुँच कर अपना मोबाइल फोन रिचार्ज कराने के लिए नौकरी मांगने के लिए थाने में आकर गुंडागर्दी करती है? पुलिस द्वारा मना करने पर वह छेड़खानी का आरोप लगा देती है? ये जांच नहीं बल्कि जांच के नाम पर लीपापोती लगती है. अगर यह सच है तो पटना पुलिस को यह मान लेने में अब संकोच नहीं होना चाहिए कि उसका ईकबाल कह्तं हो गया है. भला ऐसी पुलिस से आम आदमी अपनी सुरक्षा की क्या उम्मीद कर सकती है जिसे एक अदना सी महिला छक्के छुड़ा देती है.

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