सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह मामले में मीडिया की रिपोर्टिंग पर लगाई गई रोक का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है. इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार 5 सितंबर को पटना के एक पत्रकार द्वारा यह याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि पटना हाई कोर्ट द्वारा 23 अगस्त को दिया गया आदेश ‘स्पष्टतः गलत’ है. यह आदेश इस मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर ‘पूर्णतः प्रतिबंध’ लगाता है. इसे देश के संविधान द्वारा प्रेस को दी गई आजादी का हनन करने वाला बताया गया है.
पटना हाईकोर्ट ने बीते माह 23 अगस्त को इस मामले में हो रहे मीडिया कवरेज पर यह कहकर चिंता जाहिर की थी कि इस मामले में हो रही सीबीआई जांच की खबरें कैसे मीडिया को मिल जा रही है. इसके बाद बिहार सरकार के महाधिवक्ता ललित किशोर की ओर से जनसंपर्क एवं सूचना विभाग को एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें मीडिया संस्थानों को इस मामले की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था. आज सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में यह कहा गया है कि हाई कोर्ट ने इस आदेश के माध्यम से जनता के सूचना के मौलिक अधिकार पर ही पाबन्दी लगा दी गई है. याचिका में यह भी कहा गया कि हाई कोर्ट के सामने मीडिया रिपोर्टिंग को रोकने संबंधी कोई ठोस वजह नहीं थी. हाई कोर्ट ने ऐसा करके एक गलती की, जो जनता के जांनने के अधिकारों पर सीधा प्रहार है. साथ ही लोकतंत्र के चौथे खंभे को मिली स्वतंत्रता का भी हनन है.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह मीडिया के लगातार रिपोर्टिंग का ही नतीजा था कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों से सामूहिक यौन शोषण की खौफनाक घटना सामने आई थी. उनका मानना है कि इस घटना की रिपोर्टिंग से जनमानस पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा.जांच एजेंसियों पर दबाव बना रहेगा. इस तरह की रिपोर्टिंग से ही पीड़ितों को खुलकर आवाज उठाने के लिए आगे आने को प्रेरित करेगा. रिपोर्टिंग पर रोक की वजह से पीड़ित सामने आयेगें ही नहीं.
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