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कुशवाहा से खफा हैं नीतीश, जेडीयू ने कहा- कुशवाहा की एनडीए में नहीं है दरकार

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सिटी पोस्ट लाइव : लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए के बीच जारी घमशान तेज होता जा रहा है.सीटों के बटवारे में हो रही देर से नीतीश कुमार तो नाराज हैं ही साथ ही उनके और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच की पुरानी रंजिश को भी सतह पर ला दिया है.उपेन्द्र कुशवाहा कभी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री की रेस से बाहर हो जाने की नसीहत दे रहे हैं तो कभी कानून व्यवस्था के बहाने उनके ऊपर निशाना साध रहे हैं.

उपेंद्र कुशवाहा ने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी 2014 में तीन सीटों पर चुनाव लड़ी थी और पिछले चार वर्षों में पार्टी का सांगठनिक विस्तार हुआ है. ऐसे में उन्हें पहले से ज्यादा सीट चाहिए. उन्हें 20-20 फॉर्मूले के तहत दो सीट किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं है.जेडीयू के कुछ वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से बाहर चले जाएं तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इसके पीछे उनका तर्क है कि 2014 के चुनाव में जेडीयू के आरजेडी के साथ जाने के बाद बीजेपी को कुशवाहा की जरूरत पड़ी थी. अब जब नीतीश दोबारा एनडीए में आ गए हैं तो कुशवाहा के लिए कोई जगह नहीं बचती. जेडीयू की कुशवाहा से नाराजगी सीटों को लेकर नहीं है.जेडीयू के नेता उपेन्द्र कुशवाहा के द्वारा नीतीश कुमार पर किये जा रहे हमले से बेहद नाराज हैं. कुशवाहा कभी राज्य सरकार की शिक्षा नीति पर तो कभी कानून-व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी कर नीतीश कुमार को लगातार चिढाने का काम कर रहे हैं.

लेकिन बीजेपी नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा पर चुप्पी साधे हुई है. दरअसल, बीजेपी के नेताओं को नीतीश कुमार पर किये जा रहे हमले से इस बात की उम्मीद है कि उनका दबाव बीजेपी पर कम होगा. बीजेपी के एक नेता अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहते हैं कि  चुनावी गणित में कुशवाहा के योगदान को नकारा नहीं जा सकता. उत्तर प्रदेश का उदाहरण हमारे सामने है. वहां अमित शाह ने अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जैसे छोटे दलों को साथ लिया और सपा-बसपा-कांग्रेस की मिट्टी पलीद कर दी.

बीजेपी खेमा 2019 के लोकसभा चुनाव को कहीं ज्यादा तरजीह दे रहा है. 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा वो बाद के लिए छोड़ना चाहती है. बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाना एक मिशन है और बिहार की 40 सीटों का महत्व भी उसे मालूम है. लेकिन बीजेपी की यह चुप्पी अब जेडीयू को खलने लगी है. जेडीयू का तर्क है कि पिछले साल जुलाई में जब नीतीश कुमार बीजेपी की मदद से एनडीए में आए तो कुशवाहा पहले से गठबंधन का हिस्सा थे. इसलिए इस पॉलिटिकल मैरिज के लिए बीजेपी जिम्मेदार थी.  जेडीयू के एक नेता ने कहा कि अब जब कुशवाहा सरकार के खिलाफ ही बयानबाजी कर रहे हैं और परोक्ष तरीके से नीतीश कुमार को निशाना बना रहे हैं तो ऐसे में उपेन्द्र कुशवाहा को ठिकाने लगाने की जिम्मेवारी बीजेपी की है.जेडीयू के सूत्रों के अनुसार अगर ऐसे ही उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार की मुखालफत करते रहे और बीजेपी चुप रही तो नीतीश कुमार कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं.

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