सिटी पोस्ट लाइव :आज पुरे देश में जन्माष्टमी की धूम है. बिहार में भी में आज कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है.भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी मनाया जाता है. पुराणों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की मध्य रात्र में रोहिणी नक्षत्र में वृषभ राशि के चंद्रमा पर हुआ था. विशेष तौर पर यह जन्माष्टमी सालों बाद सूर्यवार के दिन चंद्रवार की मध्य रात्रि को अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग और वह भी वृष लग्न में पड़ी है. अर्थात इस जन्माष्टमी को रोहिणी प्रशस्त जन्माष्टमी कहा जाता है.
राज्यपाल लालजी टंडन व सीएम नीतीश कुमार ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बिहार व देशवासियों को बधाई व शुभकामना दी हैं. राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा श्रीकृष्ण की जीवन लीलाओं और संदेशों से मानवता को सत्य, न्याय, प्रेम, त्याग, नारी-सम्मान और शांति की ओर उन्मुख होने की प्रेरणा मिलती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के कर्मयोग के उपदेश को लोग आत्मसात करने का संकल्प और सुख, समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं.
पूर्व सीएम राबड़ी देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव और मीसा भारती ने शुभकामना संदेश में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की कृपा हम सब पर बनी रहे.तेजप्रताप तो आज कृष्णा का रूप धर मंदिर में सुबह से ही बांसुरी बजा रहे हैं. लोग जन्माष्टमी के दिन उपवास रखते हैं. जन्माष्टमी की पूजा आधी रात में यानी कृष्णा के जन्म के समय होती है. सुबह स्नान आदि से निवृत हो कर भगवान को प्रणाम करके व्रत का संकल्प लिया जाता है. इसके बाद केले के खंभे,आम और अशोक की पत्तियों से मंडप तैयार करके उसमें पालना सजायें. घर के मेनगेट पर मंगल कलश स्थापित कर लें. मध्य रात्रि होते ही शंख और घंटे की ध्वनि के बीच किसी शंख के आकार के फल से भगवान का जन्म कराएं.
बाल कृष्ण की मूर्ति को एक पात्र में रख कर दुग्ध, दही, शहद, पंचमेवा और सुंगध युक्त शुद्घ जल गंगा जल से स्नान करायें, फिर उन्हें पालने में स्थापित करें, फिर वस्त्र धारण करायें. ध्यान रखें भगवान को पीले वस्त्र पहनाना अति उत्तम माना जाता है. भगवान के जन्म के बाद रात भर उत्सव मनाया जाता है. ऐसे संयोग पर आप मंत्रों के जाप से आप अपनी सारी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं.
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