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Execlusive : बिहार के बाल-बालिका गृह बने यातना घर, पढ़िए TISS की ‘हॉरर हाउस’ रिपोर्ट

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सिटी पोस्ट लाइव : अभी तो मुजफ्फरपुर बालिका गृह महा-रेपकांड को लेकर ही बवाल मचा हुआ है. लेकिन जिस टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट के बाद ये खुलासा हुआ, उसी की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के एक दर्जन से ज्यादा शेल्टर होम यातना होम बन गए हैं. इस रिपोर्ट में राज्य के अलग-अलग शेल्टर होम्स की जो सच्चाई बताई गई है जिसे पढ़ने के बाद किसी का भी रूह कांप जायेगा..इस रिपोर्ट में मोतिहारी और गया के ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम में नाबालिग लड़कों के साथ जबरदस्ती समलैंगिक संबंध बनाने और कैमूर के शॉर्ट स्टे होम में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का जिक्र भी  है.

मुंगेर के चिल्ड्रन होम में जब एक बच्चे ने अधिकारियों के लिए खाना बनाने से मना कर दिया तो अधीक्षक ने ही उसके गाल पर धारदार हथियार से हमला कर दिया. तीन इंच लंबा घाव का निशान अभी भी बच्चे के गाल पर आज भी बरकरार है. अररिया में शेल्टर होम का गार्ड एक बच्चे के सीने पर चढ़ गया.ये बिहार के उन 15 शेल्टर होम्स की दर्दनाक दास्तान है, जिसका जिक्र TISS की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में है.

मुजफ्फरपुर बालिका गृह – सेवा संकल्प एवं विकास समिति इसका संचालन बेहद बुरे तरीके से कर रहा है. यहां रहने वाली लड़कियों ने यौन उत्पीड़न की शिकायत की हैं. ये काफी गंभीर है और इसकी तत्परता से तुरंत जांच कराने की जरूरत है. इस बालिका गृह की स्थिति बुरी है. कोई खुली जगह नहीं है. लड़कियों को बंद रखा जाता है. सिर्फ खाने के समय इन्हें डाइनिंग हॉल में जाने की इजाजत है.

बाल गृह, मोतिहारी – गंभीर शारीरिक यातना और यौन उत्पीड़न की कहानी यहां के बच्चों ने सुनाई है, जो निर्देश नाम के एनजीओ से संचालित होता है. यहां का एक स्टाफ छोटी-छोटी बातों के लिए बच्चों के साथ बहुत मारपीट करता है. छोटे और बड़े सभी ग्रुप के बच्चों ने यौन उत्पीड़न की बात कही है. इसकी तुरंत जांच की जानी चाहिए और कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.

बाल गृह, भागलपुर – रूपम प्रगति समाज समिति इसका संचालन सही तरीके से नहीं कर रही है. बच्चों की प्रताड़ना बहुत गंभीर है. एक स्टाफ जो बच्चों के साथ सहानुभूति रखता है, उसे भी एनजीओ के सचिव टारगेट करते हैं. उसने बताया कि कैसे पिछले अधीक्षक को भी बच्चों के साथ सहानुभूति रखने के कारण सस्पेंड कर दिया गया. एनजीओ फंड की गड़बड़ी भी कर रहा है. जब हमने शिकायत पेटी खुलवाई तो ये बच्चों की चिट्ठियों से भरी हुई थी. इसमें उनके साथ हुई हिंसा की कहानियां हैं. रेखा नाम की महिला का जिक्र लगभग हर बच्चे ने किया है, जो उनके साथ मारपीट करती थी.

बाल गृह, मुंगेर – ये जेल जैसा है और आपराधिक मामलों में पकड़े गए बच्चों के ऑब्जर्वेशन होम के परिसर में ही चल रहा है. यहां के बच्चों से एनजीओ अधिकारी कपड़ा साफ करने और खाना बनाने का काम कराते हैं. एक दिव्यांग बच्चे ने जब विरोध किया तो उसके गाल पर अधीक्षक ने हमला कर दिया. तीन इंच लंबा घाव का निशान अभी भी बच्चे के गाल पर देखा जा सकता है. एक सात साल के दिव्यांग बच्चे ने बताया कि कैसे सुनने में मदद करने वाला उपकरण वहां के स्टाफ ने झपट लिया.

बाल गृह, गया – यहां की कुछ महिलाकर्मी बच्चों को कागज पर अश्लील मैसेज लिखने के लिए मजबूर करती हैं. ये मैसेज वो अपनी जूनियर महिलाकर्मियों को देती हैं. जब हमने पूछा कि क्या तुम्हारे साथ मारपीट भी होती है, तो जवाब हां में मिला. इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जरूरत है.

जानलेवा सेंटर – पटना का नारी गुंजन, मधुबनी में ‘RVESK’ और कैमूर में ज्ञान भारती, इन तीनों की स्थिति मासूमों के लिए जानलेवा है. यहां रहने वाले बच्चों की संख्या के अनुपात में केयरटेकर बहुत कम हैं, बुनियादी संरचना का घोर अभाव है. हमने पाया कि बच्चे भूखे हैं और नाखुश हैं.

ऑब्जर्वेशन होम, अररिया – यहां का एक गार्ड बिहार पुलिस का सिपाही है जो बच्चों को मारता है. वो एक बच्चे की छाती पर चढ़ बैठा और उसके सीने पर सूजन अभी देखा जा सकता है. एक और बच्चे की अंगुली तोड़ दी गई. मारपीट में घायल होने वाले बच्चों को कोई दवा नहीं दी जाती है. एक बच्चे ने हमसे कहा – इस जगह का नाम सुधार गृह से बदलकर बिगाड़ गृह रख देना चाहिए.

शॉर्ट स्टे होम, पटना – यहां रहने वाली कुछ लड़कियों ने बताया कि वो अपने मां-बाप का फोन नंबर जानती हैं और बात करना चाहती हैं, लेकिन कभी उनकी बात नहीं सुनी गई. यहां का अकाउंटेंट शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करता है. एक लड़की ने साल भर पहले तंग आकर सुसाइड कर लिया था.

शॉर्ट स्टे होम, मोतिहारी – मानसिक तौर पर बीमार महिलाओं और लड़कियों को शारीरिक यातना दी जाती है. काउंसलर ही मारपीट करता है. कई लड़कियों ने सैनिटरी पैड नहीं मिलने की शिकायत की.

शॉर्ट स्टे होम, मुंगेर – इसे नोवल्टी वेलफेयर सोसायटी चलाता है जिसने एक हिस्से को दस हजार रुपए प्रति माह के किराए पर दे दिया है. जब हमने लड़कियों से बात की तो एक स्टाफ उन्हें घूरता रहा. लड़कियां बोलने से परहेज कर रही थीं. एक ने कहा कि बाथरूम की कुंडी टूटी है और उन्हें डर लगता है. निरीक्षण के दौरान एक कमरे में ताला लगा मिला. खुलवाने पर अंदर कुछ महिलाएं चौकी पर बैठी हुई थीं. पूछने पर बताया गया कि ये मानसिक तौर पर बीमार हैं और हिंसक न हो जाएं, इसलिए बंद रखा जाता है.

शॉर्ट स्टे होम, मधेपुरा – एक लड़की को सड़क से उठाकर यहां जबर्दस्ती लाया गया. अब इसे न अपने घर कॉल करने की इजाजत दी जा रही है और न ही यहां से जाने की अनुमति मिल रही है. हमने इस मामले की पड़ताल करने को कहा, लेकिन वहां सिर्फ एक कुक मौजूद था. वो डरा हुआ था. कुछ बोलना नहीं चाहता था.

शॉर्ट स्टे होम, कैमूर – यहां का एक गार्ड महिलाओं के साथ जबर्दस्ती करता है और यौन उत्पीड़न में शामिल है. ये हमेशा गंदे कमेंट पास करता है.

सेवा कुटीर, मुजफ्फरपुर – यहां का मामला विचलित करने वाला है. कुटीर के संचालक ही यहां रहने वालों से मारपीट करते हैं. हफ्ते में एक दिन डॉक्टर आता है जिससे शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें काम देने का लालच देकर यहां कैद कर दिया गया है.

सेवा कुटीर, गया – यहां मौत जैसा मंजर देखने को मिला. सभी रहने वाले बहुत दुबले हो गए हैं जिन्हें एक हॉल में ठूंस कर रखा गया है. जब हम उनसे बात कर रहे थे, तब यहां के कुछ स्टाफ उन्हें घूर रहे थे. एक व्यक्ति ने बताया कि यहां के हालात से कुछ लोग पागल हो गए और उनकी हालत भी वही होगी.

कौशल कुटीर, पटना – यहां रहने वाली महिलाओं और पुरुषों को यातना दी जाती है. यहां भी शिकायत मिली कि कैसे उन्हें काम देने के बहाने यहां लाकर रख दिया गया.

इस रिपोर्ट को पढ़कर क्या आपको नहीं लगता है कि हर जगह बाल और बालिका गृह यातना घर, जेल या फिर चकला घर बना दिए गए हैं.कहीं पर बालिकाओं से नौकरानी का काम तो कहीं देह व्यापार का काम लिया जा रहा है. उन्हें जानवरों की तरह मारा पिटा जा रहा है .ऐसी ऐसी यातनाएं दी जा रही हैं जो किसी खतरनाक मुजरिम को भी नहीं दिए जाते. ये बच्चे या बालिकाएं अपराधी नहीं हैं बल्कि अनाथ हैं या फिर खुद किसी अपराध के शिकार हुए हैं. इन्हें सरकारी खर्चे पर बाल और बालिका गृहों में इनकी देखभाल करने इनकी प्रॉपर काउंसिलिंग के लिए रखा गया है.लेकिन ये बाल और बालिका गृह तो हॉरर होम बन गए हैं. लेकिन हैरत की बात सबका ध्यान केवल मुजफ्फरपुर पर ही टिका है. कोई बाकी बाल गृहों और बालिका गृहों की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है.

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