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चेक बाउंस कराना होगा अब महंगा सौदा, कानून से बचना होगा मुश्किल

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सिटी पोस्ट लाइव: अब अकाउंट में पैसा नहीं है तो चेक कटाने से पहले हजार बार जरुर सोंचना दोस्तों क्योंकि केंद्र सरकार ने अब एक ऐसा विधेयक पास कर दिया है जिसके बाद चेक बाउंस हुआ तो लेने के देने पड़ेगें .यानी एक समय सीमा के अंदर भुगतान तो करना ही पड़ेगा साथ ही ब्याज और जुर्माना भी देना होगा. वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप मंत्री शुक्ला ने बताया इस  विधेयक के जरिए अधिनियम में धारा 143 (क) का समावेशन किया गया है, जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है. धारा 138 के तहत कोर्ट में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को नुकसान न हो, इसलिए 20 प्रतिशत अंतरिम राशि का 60 दिन के भीतर भुगतान किए जाने की अनिवार्यता होगी. बड़ी राशि होने और दो किस्तों में भुगतान करने की दशा में यह अवधि 30 दिन बढ़ाई जा सकती है. इसी प्रकार में धारा 148 में संशोधन करके अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है.

चेक बाउंस के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए  केंद्र ने यह कडा कानून लाया है.  लोकसभा में इस संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से  पास कर दिया गया. दरअसल केंद्र सरकार ने चेक बाउंस होने की दशा में चेक जारी करनेवाले को जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (संशोधन) विधेयक, 2017 को आज लोकसभा में पेश किया है.

वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने लोकसभा में विधेयक पेश करने के बाद कहा कि इस संशोधन से पीड़ित पक्ष को त्वरित न्याय मिल सकेगा . चेक की विश्वसनीयता बढ़ेगी.  कारोबार में भी सुगमता आएगी. चेक बाउंस को लेकर सरकार को समय-समय पर विभिन्न पक्षों से शिकायतें आ रही थीं. इसे लेकर कोर्ट में भी कई मामले दर्ज हैं. न्याय की प्रक्रिया लंबी होने से पीड़ित पक्ष को समझौता भी करना पड़ता है. इसी को लेकर सोमवार को चेक बाउंस मामले में संशोधन विधेयक पास किया गया.

उन्होंने कहा कि इस विधेयक से चेक के अस्वीकृत होने की समस्या का समाधान हो सकेगा. विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिससे चेक बाउंस होने के कारण जितने तरह के विवाद उपजते हैं, उन सबका समाधान इसी कानून में हो जाए. इससे चेक की विश्वसनीयता बढ़ेगी और सामान्य कारोबारी सुगमता में भी इजाफा होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस प्रावधान की वजह से चेक बाउंस के मामलों पर अंकुश लगेगा और कोर्ट पर चेक बाउंस के मुकदमों का बोझ कम होगा. उन्होंने सदन को यह भी बताया कि मौजूदा समय में देश भर के निचले कोर्ट में चेक बाउंस के करीब 16 लाख मुकदमे चल रहे हैं.

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