City Post Live
NEWS 24x7

शराबबंदी कानून में ढील : 10 साल की जगह 5 साल की सजा, नहीं लगेगा सामूहिक जुर्माना

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने पहली बार माना कि वर्तमान शराबबंदी क़ानून में जो सज़ा का प्रावधान है, वो अपराध के हिसाब से ठीक नहीं है. शराबबंदी क़ानून के तहत करीब एक लाख 40 हज़ार लोगों की गिरफ़्तारी के बाद ये बात सरकार को समझ आई है. अब नए नियम के अनुसार  बिहार में पहली बार शराब पीते पकड़े गए तो थाने से ही जमानत मिल जाएगी.लेकिन  शराब के धंधे में संलिप्त रहने के आरोप में पकडे जाने पर  अब दस की बजाए पांच साल की सजा होगी. बिहार में शराबबंदी संशोधन कानून में कई मामलों में सजा को कम किया गया है.

शराब के क्रय-विक्रय, परिवहन या तैयार करने के आरोप में पहली बार पकड़े जाने पर पांच वर्ष से कम की कैद और एक लाख रुपये तक जुर्माना होगा. शराब पीते अगर पहली बार पकड़े गए तो 50 हजार रुपये का जुर्माना या तीन महीने की सजा होगी.दूसरी बार पकड़े गए तो पूर्व के अपराधों को भी देखा जाएगा. 10 वर्ष के कठोर कारावास से कम तथा पांच लाख रुपये से कम जुर्माना नहीं होगा. अभी तक प्रावधान यह है कि शराब पीते पकड़े जाने पर 10 साल से कम की कैद नहीं होती. विधेयक के आरंभ में ही यह स्पष्ट कर दिया गया है कि संशोधन के प्रावधान सभी लंबित वादों पर भी लागू होंगे.

शुक्रवार को मानसून सत्र के प्रारंभ होने पर विधानसभा में शराबबंदी कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक की प्रति वितरित की गई. सोमवार यानी 23 जुलाई को इस विधेयक पर सदन में चर्चा होगी. राज्य सरकार भी इस पर अपना जवाब देगी. इसके बाद विधान मंडल से इस विधेयक को पारित कराया जाएगा. फिर संशोधन कानून को लागू करने की अधिसूचना जारी की जाएगी.किसी परिवार द्वारा दखल किए गए स्थान अथवा मकान में कोई मादक द्रव्य अथवा शराब पाया जाता है या उपभोग किया जाता है तो 18 वर्ष से अधिक उम्र वाले परिवार के सभी सदस्य को दोषी मानने वाले शब्द को नए कानून में हटा दिया गया है.

शराब में जहरीले पदार्थ को मिलाना अथवा मादक द्रव्य के सेवन से किसी की मृत्यु होती है तो इसे बनाने वाले को मृत्यु अथवा आजीवन कारावास होगा तथा न्यूनतम पांच लाख जुर्माना होगा. इसे दस लाख तक बढ़ाया जा सकेगा. यदि सेवन से कोई निशक्त हो जाता है अथवा गंभीर क्षति होती है तो दोषी को कम से कम दस साल की सजा होगी.संशोधन कानून में कई प्रावधानों को समाप्त किया गया है. सामूहिक रूप से जुर्माना लगाने के प्रावधान को ख़त्म कर दिया गया है. इस कानून के तहत कुख्यात अथवा आदतन अपराधियों को जिलाबदर के प्रावधान को समाप्त किया गया है. दोष सिद्ध होने के बाद फिर इस कानून के तहत दोष सिद्ध होता है, तो वह दोगुने दंड का भागी होगा.

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

-sponsored-

Comments are closed.