ये कैसा देश, जहाँ राष्ट्रपति को भी धकिया दिया जाता है, लालू की बेटी ने बोला हमला
मंदिर में महामहिम के साथ दुर्व्यवहार पर मीसा ने कहा- ब्राह्मणवादी वर्चस्वता की दुकानें हैं
सिटी पोस्ट लाईव : पुरी के जगन्नाथ मंदिर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार के मामले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. राष्ट्रपति और उनकी पत्नी जब मंदिर के गर्भगृह की ओर जा रहे थे तब मंदिर के कुछ सेवादारों ने न केवल उनकी राह रोकी बल्कि उन्हें धक्का भी दिया.लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा है कि यह घटना घटना लज्जित करने वाली है.यह घटना मंदिरों के संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों की सोच पर यह कुछ गंभीर सवाल भी खड़े करती है.
मिसा भारती ने ट्वीट कर इस घटना की निंदा की है साथ ही जाति और वर्ण व्यवस्था पर भी कटाक्ष किया है. उन्होंने ट्वीट किया है-“ जो आरक्षण खत्म करने की बात करते हैं वे जातियां खत्म करने की बात नहीं करते, जातियों और वर्ण व्यवस्था को निराधार और दकियानूसी नहीं बताते क्योंकि ऐसे लोगों की जातियाँ उन्हें श्रेष्ठ बताती हैं, उंचा स्थान देती है और बेवजह स्वयं पर गर्व करने का अवसर देती है”.
दूसरा ट्वीट उन्होंने किया है- “ महामहीम को पुष्कर मंदिर में घुसने नहीं दिया गया और पुरी मंदिर में धकिया दिया गया. पर वे जानते हैं कि वे इसका पुरजोर विरोध भी नहीं कर सकते. जो बहुजनों के स्वाभिमान का अपमान करें उन मंदिरों का बहुजन बहिष्कार करें क्योंकि ये भगवान के घर नहीं, ब्राह्मणवादी वर्चस्वता की दुकानें हैं “.
गौरतलब है कि 18 मार्च को राष्ट्रपति कोविंद अपनी पत्नी के साथ प्रभु जगन्नाथ के दर्शन के लिए गए थे.उनके साथ मंदिर प्रबंधन के लोगों ने दुर्व्यवहार किया .हालांकि यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता था लेकिन महामहीं ने इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया . इस बात का पता मंगलवार को चला जब 20 मार्च को हुई मंदिर प्रबंधन कमिटी की बैठक का ब्योरा मीडिया के सामने आया. मीडिया में लीक हुई बैठक की ‘मिनट्स’ में कहा गया है, “महामहिम राष्ट्रपति जब रत्न सिंहासन ,जिस पर प्रभु जगन्नाथ विराजमान होते हैं, पर माथा टेकने गए तो वहाँ उपस्थित खुंटिया मेकाप सेवकों ने उनके लिए रास्ता नहीं छोड़ा. कुछ सेवक महामहिम राष्ट्रपति के शरीर से चिपक रहे थे यहाँ तक कि महामहिम राष्ट्रपति की पत्नी, जो भारतवर्ष की ‘फर्स्ट लेडी’ हैं, उनके सामने भी आ गए थे. इस बात को लेकर राष्ट्रपति भवन की ओर से असंतोष व्यक्त किया गया था.
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