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पहलीबार सभी दलों का एक होगा एक चुनावी मुद्दा, खेती और किसान

2019 के चुनाव में किसान बनेंगे मुद्दा, बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस ने भी शुरू की तैयारी

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सिटी पोस्ट लाईव :अपने देश की 80 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है. लेकिन देश की 70 फीसदी खेती की जमीन पर 30 फीसदी लोगों का कब्ज़ा है. जिनका खेती पर कब्ज़ा है ,उन्हें सरकार से खेती के लिए कोई ख़ास सुविधा नहीं है.उन्हें लगता है कि खेती अब घाटे का सौदा हो गई है. लेकिन उनके पास दूसरा कोई काम नहीं है. ऐसे में खेतिहर किसान और उनके खेतों में काम करनेवाले मजदूर दोनों ही सरकार और राजनीतिक दलों द्वारा छला हुआ मह्सुश कर रहे हैं. इसबार ये किसान और मजदूर राजनीतिक दलों को सबक सिखाने के मूड में हैं.देश में कई जगहों पर किसान आन्दोलन की शुरुवात भी हो चुकी है .

राजनीतिक दलों को भी किसानों के गुस्से का आभास हो चूका है. बिहार से लेकर देश स्तर पर  जिस तरह से केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों और  सभी  राजनीतिक दलों के कार्यक्रम किसान आधारित हुए हैं , उससे यहीं संकेत मिलता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में किसान और कृषि सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है. सरकार ही नहीं बल्कि राजनीतिक दलों के सारे कार्यक्रम किसान केन्द्रित दिख रहे हैं. सभी राजनीतिक पार्टियों ने जिस तरह किसान और किसानों के मसलों को लेकिर रणनीति बनाती दिख रही हैं, जाहिर इस चुनाव में किसान ही केन्द्रीय भूमिका में रहनेवाला है. केंद्र सरकार का इस साल का बजट भी किसान केन्द्रित रहा . किसानों के लिए ढेर सारी योजनायें शुरू की गयीं . वहीं बिहार सरकार पिछले कुछ सैलून से लगातार किसानों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश कर रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो पीएम मोदी की फसल बिमा योजना तक को रिजेक्ट कर अपना फसल बिमा योजना बिहार में लागू कर दिया है. डीजल पर सब्सिडी बढ़ा दी है. और भी बहुत कुछ किसानों केंदित कर किया जा रहा है.

बीजेपी और जेडीयू का जोर जब सबसे ज्यादा किसान पर है,ऐसे में भला कांग्रेस चुप कैसे बैठे रह सकती है.कांग्रेस पार्टी भी पिछले कुछ दिनों से किसानों के नाम का माला जप रही है. राहुल गांधी तो किसानों के मुद्दे को लेकर हमलावर हैं ही .प्रदेश कांग्रेस के नेता भी पिछले दो महीनों से किसानों की समस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन बिहार में कर रहे हैं. कांग्रेस ने हाल के दिनों में कुल चार आंदोलन सड़कों पर किये हैं और चारों किसानों के मसलों को लेकर और बैलगाड़ी पर सवार होकर चढ़कर कांग्रेस के बयानों में सच्चाई झलक भी जा रही है. कांग्रेस के विधायक दल के नेता सदानंद सिंह भी मानते हैं कि किसानों का मुद्दा ही 2019 में नैया पार करायेगा.

अब कांग्रेस को भरोसा है कि कांग्रेस की नैया को किसानों की बैलगाड़ी ही पार लगाएगी तो दूसरी तरफ केन्द्र सरकार का नारा ही है कि हम किसानों की आय को दोगुना करना चाहते हैं. बिहार सरकार ने हाल ही में केन्द्र की फसल बीमा योजना को बंद कर राज्य फसल सहायता योजना शुरु की है जिसमें किसानों के लिए खजाना खोल दिया गया है.इतना ही नहीं बिहार सरकार ने अरसे बाद इस साल किसानों को सिंचाई के लिए मिलने वाली डीजल अनुदान में प्रति लिटर पांच रुपये की बढोतरी कर दी है और इसके लिए 75 करोड़ रुपये जारी भी कर दिया है. बिहार सरकार के मंत्री नंद किशोर यादव ने बताया कि सबका साथ सबका विकास ही हमारा नारा है ऐसे में हम किसानों को छोड़ कर कैसे बढ़ सकते हैं.

श्रीकांत प्रत्यूष 

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