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नाबालिक को जेल का मामला : आईजी ने सौंपी डीजीपी को रिपोर्ट ,गिरी पुलिसकर्मियों पर गाज

एएसपी, दो थानेदार समेत दर्जनभर पुलिसकर्मियों पर हो सकती है एफआइआर

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सिटी पोस्ट लाईव : पटना के जोनल आईजी नैयर हसनैन खान ने मुफ्त में सब्जी नहीं देने पर किशोर को व्यस्क बताकर बाइक लुटने, आ‌र्म्स एक्ट, लूट व डकैती की साजिश रचने जैसे गंभीर आरोपों में जेल भेजने के मामले की जांच रिपोर्ट आज डीजीपी को सौंप दी है. रिपोर्ट में शब्जी विक्रेता के बेटे को आईजी ने नाबालिग पाया है. और पटना पुलिस को एक नाबालिक को बलिग बताकर जेल भेजे जाने का दोषी ठहराया है.आईजी ने अगमकुवां थाणे के सभी 9 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर लाईन हाजिर कर देने का आदेश दे दिया है . खबर है कि  अगमकुआं और बाईपास थानों के थानेदार और अनुसंधानकर्ता को  निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय कारवाई की अनुशंसा की गई है.बच्चे की फर्जी गिरफ्तारी दिखा कर वाहवाही लूटने वाले दोनों थानों के दर्जनभर पुलिसकर्मियों पर प्राथमिकी  भी दर्ज की जा  सकती है. सूत्रों की मानें तो कई पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी भी संभव है. जो जेल नहीं भी जायेगें उन्हें भी विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा . जांच रिपोर्ट आईजी ने सौंप दिया है .अब ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री के पास जायेगी फिर आगे की कारवाई तय होगी.

एक वरीय पुलिस अधिकारी के अनुसार गिरफ्तारी स्थल में भिन्नता दिखाने पर बाईपास थाना कांड संख्या 87/18 के वादी और अनुसंधानकर्ता पर प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. इस प्राथमिकी में पुलिस ने असलहे की बरामदगी भी दर्शायी है, इसलिए अनुसंधानकर्ता पर तत्काल आ‌र्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया जा सकता है.  अगमकुआं थाने के दो कांडों में किशोर के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट लेने और उनमें चार्जशीट दायर करने की पुलिस की जल्दी उसकी गलत  मंशा को दर्शाता है. ऐसी स्थिति में दोनों कांडों के अनुसंधानकर्ता और थानेदार पर प्राथमिकी दर्ज हो सकती है. चार्जशीट की कॉपी अनुसंधानकर्ता ने एसडीपीओ, एसपी सहित अन्य वरीय पदाधिकारियों को अगर भेजी होगी तो बिना सुपरविजन किए चार्जशीट करने  की अनुमति देने और दोषी  अनुसंधानकर्ता को निलंबित नहीं करने या फिर उसके  निलंबन की अनुशंसा नहीं करने के लिए एसडीपीओ को  भी इस षड्यंत्र का भागीदार मानकर उनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. किशोर के पिता ने मुफ्त में सब्जी लेने वाले अगमकुआं थाने के जिन पुलिस पदाधिकारियों की पहचान की है, उनपर रंगदारी का मुकदमा होगा और वो जेल भेंजे जायेगें .

घटना के बाद किशोर के पिता ने एसडीपीओ, सिटी एसपी, एसएसपी सहित अन्य वरीय पदाधिकारियों से दो अप्रैल को ही शिकायत की थी. उन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण गिरफ्तारी से संबंधित महत्वपूर्ण साक्ष्य मिट गए. ऐसी सूरत में उनके खिलाफ भी कारवाई हो सकती है. शिकायतकर्ता के आवेदन के आलोक में जांच नहीं करने के दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कर्तव्य में लापरवाही बरतने का मामला दर्ज हो सकता है या फिर उनके खिलाफ विभागीय कारवाई की अनुशंसा की जा सकती है.

सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार पीड़ित बच्चे को मुवावजा देने का एलान भी कर सकती है .ऐसे मामलों में  सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार से पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिला चूका है. इस मुवावजे की भरपाई सरकार दोषी  पदाधिकारियों के वेतन से कर सकती है. उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार इस मामले में भी किशोर को मुआवजा मिलना चाहिए.सूत्रों के अनुसार  किशोर के साथ पुलिस हिरासत में मारपीट  और व्यस्कों के साथ तीन महीने तक जेल में रखकर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर मानवाधिकार के उल्लंघन के दोषी  पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर और दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है.

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