सहयोगी दलों ने भी उठाया शराबबंदी पर सवाल.
बताया बेतुका कानून - छपरा की घटना को सत्ताधारी दल के MLA बता रहे सत्ता संरक्षित नरसंहार.
सिटी पोस्ट लाइव : छपरा में जहरीली शराब से हुई 50 लोगों की मौत के बाद सहयोगी दल के विधायक ही शराबबंदी कानून पर सवाल उठाने लगे हैं. आरजेडी के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने तो इसे ‘सत्ता संरक्षित नरसंहार’ बता दिया है.पूर्व कृषि मंत्री व राजद विधायक सुधाकर सिंह ने कहा कि बड़े पैमाने पर मौत हुई है तो, यह आश्चर्यचकित करने वाली घटना नहीं है. हजारों लोग शराब पीकर जेल जा रहे हैं. सरकार के संज्ञान में है। इसका समाधान निकालना चाहिए. इस पर आरोप-प्रत्यारोप दुर्भाग्यपूर्ण है. इसपर न्यायिक जांच आयोग का गठन होना चाहिए और लोगों को राहत देना चाहिए.
छपरा के मांझी से लेफ्ट के विधायक सत्येंद्र कुमार ने कहा कि सभी पॉलिटिकल पार्टियों का स्टैंड है कि शराबबंदी होनी चाहिए. इसे लागू हुए बहुत दिन हो गए. लेकिन, यह जांच का विषय है कि न सरकार शराबबंदी पूरी तरह से लागू कर पाई और ना लोग पीने की आदत को छोड़ पाए. राज्य अगर बेतुका कानून बनाएगा तो जाहिर सी बात है, वह इंप्लीमेंट नहीं हो पाएगा और उसका कोई रिजल्ट नहीं हो पाएगा.सत्येंद्र कुमार ने कहा कि राज्य सरकार को लोगों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. अब सरकार यह डिसाइड करेगी कि हम क्या खाएंगे? क्या पिएंगे? क्या पहनेंगे? अगर सरकार इस स्तर तक चली जाती है तो यह व्यक्ति की स्वतंत्रता में सरकार की दखलअंदाजी है. कुल मिलाकर यदि मैं शराब नहीं पीता हूं तो मैं दूसरे पर यह नियम नहीं लगा सकता हूं कि लोग शराब ना पिएं.
गौरतलब है कि जीतन राम मांझी शुरू से ही शराबबंदी पर सवाल उठाते रहे हैं.खुद लालू यादव और तेजस्वी यादव शराबबंदी को असफल बताते रहे हैं.खुद सत्ता में आने के बाद भले लालू यादव और तेजस्वी यादव चुप हैं लेकिन उनकी पार्टी के विधायक शराबबंदी पर लगातार सवाल उठा रहे हैं.सुधाकर सिंह का कहना है कि बिहार में शराबबंदी है और लोग शराब पी कर मर रहे हैं. यह बिना सत्ता के संरक्षण का संभव हो ही नहीं सकता है.लगातार गिरफ्तारियां रोज हो रही हैं. एसपी, दरोगा, थाना प्रभारी शराब माफियाओं के साथ मिले होने की वजह से बर्खास्त हुए, जेल गए, निलंबित हुए.
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