मुस्लिम महिलाएं भी करेंगी छठ पूजा, जानिये क्यों?
किसी को मन्नत से हुआ बेटा तो किसी का बना घर, कई मुस्लिम महिलाएं कर रही छठ पूजा अनुष्ठान.
सिटी पोस्ट लाइव :आज एक तरफ जहाँ पुरे विश्व में पान इस्लामिज्म की बात हो रही है वहीं बिहार में मुस्लिम महिलायें हिन्दुओं के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान छठ पूजा (Chhath Puja) का हिस्सा बनकर साम्प्रादायिक सद्भाव का एक अनूठा उदाहरण पेश कर रहे हैं.गोपालगंज शहर के हजियापुर की रहनेवाली रेहाना खातुन भी इस बार छठ पूजा कर रहीं हैं. रेहाना खातुन और मलिका खातुन ने बताया कि मन्नत मांगी थी कि घर बन जायेगा, तब छठ माता की व्रत रखकर पूजा करेंगी.
रेहाना अपना अनुभव बताती है- जब भी घर में काम लगाने की कोशिश होती थी तो कोई न कोई विपदा आ जाती थी. इसके बाद उन्होंने छठ घाट पर घर बनने की मन्नत मांगी. इस साल रेहाना के घर बनने की मन्नत पूरी हो रही है. इसलिए पूरे विधि-विधान के साथ छठ पूजा कर रहीं हैं.हजियापुर गांव में कई ऐसे परिवार हैं, जो छठ पूजा पहले से करते आ रहे हैं. इन परिवारों के अनावा नोनीया टोला का एक परिवार है, जहां बेटा होने की मन्नत पूरी होने पर इस बार छठ पूजा हो रही है.
छठ पूजा कर रहीं सहाना खातुन ने बताया कि सालों से बेटा नहीं हो रहा था. किसी ने बताया कि छठ घाट पर जाकर मन्नत मांगने से मुरादें पूरी होती हैं.
कोविड काल में छठ घाट पर पहुंची सहाना खातुन ने मन्नत मांगी, जिसके बाद मन्नत पूरी होने पर इस बार छठ व्रत कर रहीं हैं. सहाना ने बताया कि पूरे विधि-विधान के साथ बाजार से दउरा, सूपा, मिट्टी के कलश समेत अन्य सामग्रियों की खरीदारी कर ली है. शुक्रवार को नहाय-खाय करेंगी, इसके बाद खरना कर छठ घाट पर सूर्योपासना के महापर्व की अराधना करेंगी.
छठ महापर्व की शुरुआत कल नहाय-खाय के साथ शुरू हो रही है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्ध्य और चौथे दिन उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हुए समापन होता है. छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है. लिहाजा नारायणी नदी के घाट पर स्नान के लिए जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी. वहीं गुरुवार को बाजारों में पूजा की सामग्री खरीदने के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटी रही.
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