सिटी पोस्ट लाइव : अपने बेटे के मंत्री मंडल से इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिए जाने से RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह खफा हैं.खबर आ रही है कि वो कभी भी अपना इस्तीफा लालू यादव को सौंप सकते हैं.उनके बेटे ने जब कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा दिया तो लालू यादव ने झट से स्वीकार कर लिया.लेकिन क्या जगदानंद सिंह के इस्तीफे को भी वो स्वीकार कर लेगें?ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जगदानंद सिंह ने ठीक 30 साल पहले भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. मीडिया वाले जब लालू यादव से पूछते थे-जगदा बाबू के इस्तीफे का क्या हुआ? वे सहज भाव से कह देते थे-तकिया के नीचे पड़ा हुआ है.लेकिन इसबार क्या करेगें लालू यादव?
तब विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा था. तत्कालीन जल संसाधन मंत्री जगदानंद ने ऐलान किया कि राज्य में कोई तटबंध टूटा तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. संयोग से अगले ही दिन उत्तर बिहार से किसी तटबंध के टूटने की खबर आई. विपक्ष की ओर से जबरदस्त हंगामा हुआ. मंत्री के इस्तीफे की मांग की गई. राजो सिंह के सभापतित्व में विधानसभा की जांच समिति गठित हुई. इधर जगदानंद ने इस्तीफा दे दिया. विधानसभा समिति की रिपोर्ट आने से पहले सरकारी अधिकारियों की जांच रिपोर्ट में कहा गया कि तटबंध में टूट नहीं हुई है. उसके नदी तरफ के कुछ हिस्से में मामूली कटाव हुआ था. उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने जगदानंद का इस्तीफा राज्यपाल को नहीं भेजा. कई महीनों तक यही स्थिति बनी रही.
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे और कैमूर जिले की रामगढ़ सीट के विधायक सुधाकर सिंह ने रविवार को इस्तीफा दे दिया. सुधाकर बिहार सरकार में कृषि मंत्री का दायित्व संभाल रहे थे. हाल में कई बार सार्वजनिक मंचों से अपने विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर नाराजगी जता चुके थे. उन्होंने जैसे ही अपना इस्तीफा सौंपा लालू यादव ने उसे तुरत स्वीकार कर लिया.दरअसल, लालू यादव की मज़बूरी है.गठबंधन की सरकार चलानी है.नीतीश कुमार को वो इस हद तक नाराज नहीं कर सकते कि सरकार ही खतरे में पड़ जाये.लेकिन जगदा बाबू का इस्तीफा वो इसबार भी तकिये के नीचे रखकर सो सकते हैं.
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