बिहार में बाढ़ घोटाले के बाद अब बाँध घोटाला ,पहले राहत पर आफत, अब लाखों जान पर आफत
बाढ़ घोटाले से तो लोगों की राहत सामग्री की लूट हुई अब बाँध घोटाले से उनकी जान की लूट की लूट
सिटी पोस्ट लाईव ; एक तरफ हर साल बिहार में लाखों लोगों के लिए बाढ़ तबाही का सबब बनकर आता है वही यह सरकारी कर्मचारियों खासतौर पर नौकरशाहों और उनके साथ साठगांठ रखनेवाले ठेकेदारों के लिए सरकारी खजाना लूटने का सबसे सुनहरा मौका लेकर आता है.बाढ़ राहत घोटाले तो सामने आते ही रहते हैं,अब तो बाँध घोटाले भी सामने आने लगे हैं.बाढ़ राहत घोटाले से तो लोगों की केवल फजीहत होती थी,परेशानी होती थी लेकिन बाँध घोटाले से तो तबाही आयेगी ,बर्बादी आयेगी ,लाखों लोगों की जानें जायेगीं ..बिहार में बाढ़ राहत घोटाले के बाद अब बाँध घोटाला सामने आया है .बांधों के निर्माण में 100 फीसदी की जगह महज 14 सीमेंट से बाँध बनाए जाने का जो सनसनीखेज खुलासा सामने आया है,वह हिलाकर रख देनेवाला है.
जल संसाधन विभाग में बाढ़ निरोधक कार्यों में पक्की संरचनाओं में सीमेंट की जगह बालू-मिट्टी से ही पक्का कंस्ट्रक्शन कर दिया गया है.यानी 100 फीसदी सीमेंट लगाने की जगह 14 फीसदी सीमेंट लगाकार बाँध खड़ा कर दिया गया .ये मामला कोसी ईआरएम में 2009-10 के दौरान किये गए पक्का संरचना का है .ये खुलासा गड़बड़ी की शिकायत पर जब जांच की गई तब सामने आया.कैसे ठेकेदारों के साथ सरकारी कर्मचारी और अधिकारी सांठगाँठ कर सरकारी खजाना तो लूट ही रहे ,लाखों करोड़ों लोगों की जान आफत में दल रहे हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब जांच शुरू हुई तो एक डिवीजन ने संरचना को सही ठहरा दिया वहीँ दूसरे डिवीजन ने जांच में 35 फीसदी सीमेंट कम होने का खुलासा कर दिया. विभाग ने दिल्ली लैब में इसकी जांच करवायी तो सच्चाई सामने आ गई.बाढ़ रोकने के लिए जो बाँध बनाए गए हैं वो बाढ़ आते ही भरभरा कर गिर जायेगें ,ये सच सामने आया . जांच में 86 फीसदी तक सीमेंट कम निकला यानी सीमेंट की जगह बालू और मिटटी से मजबूत और सुरक्षित बाँध बना दिया गया है. सिर्फ बालू-मिट्टी से खादी की गई सरंचना बाढ़ से लोगों की कितनी रक्षा करेगी ,आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं.
अब सिंचाई विभाग सख्त रुख अख्तियार करने का दावा कर रहा है .दिखावा तो करना ही पड़ेगा,सच जो सामने आ गया है.अब ऐसी गड़बड़ियों में शामिल तमाम इंजीनियरों और निर्माण एजेंसियों पर एफआईआर दर्ज करने की तैयारी चल रही है.विभाग ने एक साथ 68 इंजीनियरों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. इन इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी चलेगी लेकिन सबसे बड़ा सवाल इन बांधों के टूटने से जो जानमाल की तबाही और बर्बादी होगी ,उसकी भरपाई कैसे होगी.क्या इस साल इन्ही बालू मिटटी के दिखावे के बांधों के भरोसे लाखों लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा ? क्या सरकार दुबारा बाँध बनवा लेगी ?
ईन तमाम सवालों का जबाब न तो सरकार देने की स्थिति में है और ना ही नौकरशाह .अब संतोष के लिए जान लीजिये कि अपनी गर्दन बचाने के लिए नौकरशाह और नेता क्या करवाई कर रहे हैं. बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, कटिहार और सालमारी के अपर महानंदा योजना फेज-1 में महानंदा नदी के दायें व बायें तटबंधों में भारी अनियमितता पाए जाने के बाद यहां के 20 इंजीनियरों पर एफआईआर दर्ज की गई है. पूर्णिया परिक्षेत्र में भी पूर्वी कोसी नहर पुनर्स्थापना कार्य में अनियमितता बरतने के आरोप में कुल 42 अभियंताओं पर एफआईआर दर्ज करते हुए विभागीय कार्यवाही चलाने की कार्रवाई शुरू हो गई है. इस कार्य के संवेदक एन.आर. जे.के.एन.कमला पर भी एफआईआर दर्ज होगी.
सहरसा परिक्षेत्र में सिंचाई प्रमंडल, मुरलीगंज में सीडी संरचना निर्माण में प्राक्कलन के अनुरूप काम नहीं कराये जाने के कारण इस प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता व गुण नियंत्रण से संबंधित अभियंताओं पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. इन पर भी विभागीय कार्यवाही चलाने का निर्णय लिया गया है. यही नहीं संवेदक मंगलमूर्ति कंस्ट्रक्शन पर भी एफआईआर दर्ज की गई है. इसी परिक्षेत्र में सिंचाई प्रमंडल, सहरसा के अन्तर्गत आउटलेट के निर्माण में प्राक्कलन के अनुरूप कार्य नहीं करने के कारण हैदराबाद के संवेदक आई.वी.आर.सी. लि. और प्रमंडल में पदस्थापित कार्यपालक अभियंता के साथ सहायक अभियंता व कनीय अभियंता पर केस दर्ज करने का आदेश दिया गया है.
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