City Post Live
NEWS 24x7

MLC चुनाव को लेकर एनडीए-महागठबंधन में रार? समझिए पूरा गणित.

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में एमएलसी के 24 सीटों के लिए होनेवाले चुनाव को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों के अंदर घम्शान जारी है. एनडीए और महागठबंधन दोनों खेमों में घटक दल ज्यादा से ज्याद सीट पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में दोनों गठबंधन के अंदर चुनाव को लेकर संग्राम भी छिड़ चुका है.झारखंड गठन के बाद बिहार विधान परिषद के सदस्‍यों की संख्‍या 96 से घटाकर 75 हो गई है. वर्तमान में बिहार विधान परिषद में पांच तरह से प्रतिनिधि चुने जाते हैं.27 सदस्‍य बिहार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से, 6 शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से, 6 स्‍नातक निर्वाचन क्षेत्र से, 24 स्‍थानीय प्राधिकार से और 12 मनोनीत सदस्‍य होते हैं जिन्हें राज्यपाल मनोनीत करते हैं.

पिछले साल ही स्थानीय प्राधिकार से चुने जाने वाले 24 विधान पार्षद के लिए चुनाव होना था, लेकिन कोराना के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था. दरअसल स्थानीय प्राधिकार से चुने जाने वाले विधान पार्षद का चुनाव ग्राम पंचायत के मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य और नगरीय निकाय के सदस्य वोट देकर करते हैं. पिछले साल कोराना के कारण त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नहीं हो पाया था लिहाजा इसका असर विधान परिषद के चुनाव पर भी पड़ा. अब जबकि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणाम आ चुके हैं तो उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही विधानपरिषद चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी जाएगी. विधानसभा के सदस्यों का कार्यकाल जहां पांच साल होता है. वहीं विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है.

दरअसल एमएलसी की 24 सीटों में 13 सीटों से बीजेपी के नेता रिटायर हुए हैं. इसलिए बीजेपी 13 सीट पर चुनाव लड़ने के पक्ष में है. वहीं जेडीयू 50-50 के फार्मूले पर सीटों का बंटवारा चाहती है. जेडीयू का कहना है कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में 50-50 के फार्मूले पर ही सीटों का बंटवारा होता रहा है, इसलिए विधान परिषद के चुनाव में भी यही फार्मूला अपनाया जाए. वहीं जीतनराम मांझी की हम भी अपनी हिस्सेदारी चाहती है. जबकि मुकेश सहनी की वीआईपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लेकिन जिस तरह से हाल के दिनों में मुकेश सहनी ने बीजेपी को समय-समय पर आंख दिखाया है उससे संकेत बीजेपी के अनुकूल तो नहीं दिख रहे हैं.
आरजेडी और खास कर के तेजस्वी यादव अब कांग्रेस को ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं दिख रही है.कांग्रेस जहां 7 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है वहीं आरजेडी सभी 24 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि ‘कांग्रेस को समझना चाहिए कि विधानसभा चुनाव 2020 में क्या हुआ और उसके बाद उपचुनाव में क्या हुआ’.आरजेडी नेताओं को लगता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ज्यादा सीट दे गयी जिसका खामियाजा चुनाव में आरजेडी को भुगतना पड़ा. इसलिए आरजेडी चुनाव जीतने वाली प्रत्याशी पर ही दांव लगाने को तैयार है.

विधान पार्षदों को 40 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन, 50 हजार रुपए प्रतिमाह क्षेत्रीय भत्ता के अलावा अन्य कई तरह की सुविधाओं का लाभ भी मिलता है. मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना के तहत उन्हें हर साल 3 करोड़ रुपए रेकमेंड करने का भी अधिकार है. यानि छह साल के अपने कार्यकाल में एक विधान पार्षद 18 करोड़ रुपए रेकमेंड कर सकता है. लिहाजा हर दल में चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंकने को तत्पर है. राजनीतिक दल भी विधान परिषद में अपनी संख्या बल को बढ़ाने के लिए हर तरह से तैयार दिख रहे हैं.

-sponsored-

- Sponsored -

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.