आरोपी की बात सुनकर जज हो गए भावुक, मानवीय आधार पर सुनाया अनोखा फैसला
आरोपी ने मासूम बहनों के लिए मांगी माफ़ी
सिटी पोस्ट लाइव : अपने अनोखे फ़ैसले के लिए पहचाने जाने वाले बिहार के एक ऐसे जज जिन्होंने अपने फ़ैसले से सबों के दिल को जीता और इतना ही नहीं मानवता की मिसाल भी पेश की. ताज़ा मामला बिहारशरीफ़ न्यायालय का है जहां किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश मानवेंद्र मिश्र ने शराब ढोते पकड़े गए फ़ूल बेचने वाले की ज़िंदगी बदल डाली. 12 वर्षीय नाबालिग को देसी शराब के गैलन एवं एक और अवैध धंधे में पकड़ा था. जज ने उसके भविष्य को देखते हुए शराब अधिनियम के तहत दर्ज मामले को ही ख़त्म कर दिया.
वहीं बाल संरक्षण पदाधिकारी को 15 दिनों के भीतर बालक की पढ़ाई-लिखाई समेत तमाम मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने को कहा. जज के आदेश पर बालक के घर पर तत्काल राशन पहुंचाया गया. सारे थानाध्यक्ष को बीडीओ व सीओ के सहयोग से बालक की छोटी बहनों व बुजुर्ग दादी को सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने को कहा. जज ने मुख्यालय डीएसपी ममता प्रसाद से अपेक्षा की, कि बालक की नियमित मॉनिटरिंग कराती रहें और इससे कोर्ट को भी अवगत कराएं. ताकि बालक फिर किसी गैरकानूनी कार्य में न फंस जाए.
दरअसल, कोर्ट में पेश होते ही बालक जोर-जोर से रोने लगा. कहा, मुझे जेल मत भेजिए साहब, मेरी चारों छोटी बहनें भूख से मर जाएंगी. तब कोर्ट रूम में बालक को इत्मीनान दिया कि घबराओ मत, यहां आए किसी बालक या किशोर को जेल नहीं भेजा जाता. जज की सहानुभूति पाकर उसने खुलकर अपनी विवशता सुनाई. बताया, दो साल पहले मां का निधन हो गया. घर में बूढ़ी दादी और चार छोटी बहनें प्रियंका, पूजा, पिंकी व रिंकी हैं. सबसे बड़ा होने के नाते सबके भरण-पोषण के लिए पिता संग मिलकर पुश्तैनी धंधे फूलों की दुकानदारी में हाथ बंटाने लगा.
लॉकडाउन में मंदिर बंद हुए तो फूलों की बिक्री ठप पड़ गई. सारे बाजार में छोटी-मोटी मजदूरी भी मिलनी बंद हो गई. लड़के ने बताया कि पिता को शराब की लत है, वे कोई और रोजगार ढूंढने की बजाए घर बैठ गए. छोटी बहनें बिस्किट या चॉकलेट मांगती तो वे गालियां देने लगते, 3 दिन पहले तो बहनों को थप्पड़ भी जड़ दिया. यह देख मुझसे रहा नहीं गया, उसी वक्त कुछ कमाई के इरादे से घर से निकल पड़ा. ताकि छोटी बहनों की ख्वाहिशें पूरी कर सकूं. इतने में गांव का महेंद्र ढाढ़ी उर्फ गोरका मिला, उसे अपनी मुसीबत सुनाकर काम मांगा तो उसने सौ रुपए दिए और कहा, ये गैलन लो और जिराईनपुरी के पास पहुंचा दो.
गैलन की बदबू सूंघ मैंने कहा कि यह तो शराब है. इस पर महेंद्र ने कहा कि तुम बच्चे हो, इस कारण कोई शक नहीं करेगा. वैसे बहुत लोग हैं, इस काम को करने के लिए, यह कहकर वह रुपए वापस लेने लगा. तब मैं शराब पहुंचाने को राजी हो गया. महेश केवट के साथ बाइक पर गैलन लेकर पीछे बैठ गया. इसी बीच पुलिस ने शक के आधार पर हम दोनों को शराब समेत पकड़ लिया. यह आपबीती सुन जज मानवेंद्र मिश्र भावुक हो गए और बालक पर दर्ज मामले को ही खारिज कर उसके व उसके परिवार के संरक्षण की व्यवस्था कर दी.
नालंदा से मो. महमूद आलम की रिपोर्ट
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