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जेपीएससी: सातवीं से 10वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के आवेदन के लिए अब 600 नहीं, लगेंगे मात्र 100 रुपये

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: राज्य सरकार ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेपीएससी परीक्षा शुल्क को घटाने की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि जेपीएससी की सातवीं से 10वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के आवेदन के लिए अब 600 नहीं बल्कि 100 रुपये लगेंगे। मुख्यमंत्री सोरेन ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि घोषणा पत्र मेरे लिए वचन पत्र है। इसे अक्षरसः पालन करने के लिए हम कृतसंकल्पित हैं। चाहे वह जेपीएससी का विषय हो, स्थानीय नीति का विषय हो, आरक्षण बढ़ाने का विषय हो या फिर अनुबंधकर्मियों का विषय- सभी का समाधान मुझे देना है। इसी क्रम में परीक्षा शुल्क में बदलाव का आदेश आपके समक्ष है। अनारक्षित, आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों का वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग ओबीसी-1 और ओबीसी-2 के अभ्यर्थियों के लिए शुल्क को 600 रुपये से घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है, जबकि एसटी, एससी और आदिम जनजाति वर्ग के लिए परीक्षा शुल्क 150 रुपये से घटाकर 50 रुपये कर दिया है। इस संबंध में जेपीएससी की ओर से आदेश जारी कर दिया गया है। जेपीएससी ने एक साथ वर्ष 2017, 2018, 2019 और 2020 सिविल सेवा परीक्षा के लिए 8 फरवरी को विज्ञापन निकाला है। वर्ष 2017 से 2020 तक के लिए विभिन्न प्रशासनिक सेवा के 252 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की जाएगी।
जेपीएससी ने 252 पदों के लिए 15 फरवरी से ऑनलाइन आवेदन जमा करने को कहा है और आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 15 मार्च निर्धारित की गयी है।  252 पदों में से उपसमाहर्ता के 44 पद, पुलिस उपाधीक्षक के 40, जिला समादेष्टा के 16, कारा अधीक्षक के 2, सहायक नगर आयुक्त के 65, झारखंड शिक्षा सेवा वर्ग के 41, अवर निबंधक के 10,  सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा के 2, निर्वाचन पदाधिकारी-जिला नियोजन पदाधिकारी के 9 पद और प्रोवेशन पदाधिकारी के 17 पदों के लिए परीक्षा ली जाएगी। गौरतलब है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जेपीएससी परीक्षा शुल्क को क्रमशः 100 और 50 रुपये रखने की घोषणा की थी लेकिन जब परीक्षा के लिए आवेदन आमंत्रित किये गये थे, तो 600 रुपये और 150 रुपये आवेदन शुल्क रखे जाने पर बीजेपी की ओर से गठबंधन सरकार पर निशाना साधा गया था, जिसके बाद सरकार का यह फैसला आया है।

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