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गया का विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला स्थगित, मंत्री प्रेम कुमार ने जताया विरोध.

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सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना के संक्रमण की वजह से इस साल  गया का विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (Pitripaksh Mela)  स्थगित कर दिया गया है. बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने गया में आयोजित होने वाले पितृपक्ष महासंगम को स्थगित करने का फैसला लिया है. इसको लेकर गया के डीएम अभिषेक सिंह ने आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश में पितृपक्ष मेला में आनेवाले पिंडदानियों द्वारा सामाजिक दूरी का अऩुपालन में होने वाली कठिनाईयों एवं संभावित संक्रमण को देखते हुए जनहित में मेला को स्थगित करने के निर्णय की जानकारी दी गयी है.

डीएम ने विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सदस्यों के साथ बैठक की और उनसे बिहार के साथ ही अन्य प्रदेशों से आनेवाले तीर्थयात्रियों को इस साल कोरोना की वजह से नहीं आने के सुझाव देने का आग्रह किया है. मेला में जुटने वाली भीड़ की वजह से तीर्थयात्री, पंडा समाज एवं इससे जुड़े अन्य लोगों में कोरोना के संक्रमण की आंशका जताते हुए सरकार द्वारा ऐसा निर्णय लिया गया. बैठक में शामिल एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा कि मेला का आयोजन होने पर एडवायजरी के उल्लंघन की आशंका है, ऐसा उल्ल्घंन होने पर संबंधित लोगों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है, इसलिए पंडा समाज सरकार के आदेश का पालन कराने में सहयोग करे.

3 सितंबर से शुरू होने वाले 17 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष मेला में देश-विदेश से लाखों तीर्थयात्री अपने पितरों के मोक्ष की कामना के लिए पिंडदान करने के लिए आते हैं, पिंडदान करने के लिए यहाँ विदेश से भी लोग यहां भारी संख्या में महिला पुरुष आते हैं.बिहार सरकार द्वारा पितृपक्ष मेला 2020 को स्थगित किये जाने से पंडा समाज समेत स्थानीय व्यवसायी काफी निराश हैं, इस संबंध में विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य शंभुलाल विट्ठल ने कहा कि सिंतबर माह में आयोजित होने वाली पितृपक्ष मेला में जजमानों द्वारा दी गयी दक्षिणा से यहां के 200 से ज्यादा पंडा समाज के परिवार का सालोभर के भोजन का इंतजाम होता रहा है. लॉकडाउन की वजह से उनलोगों की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब है, इसलिए विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति एवं अन्य संगठनों ने डीएम और स्थानीय विधायक सह कृषि मंत्री को पितृपक्ष मेला आयोजित कराने के लिए आग्रह पत्र दिया था.

कोरोना को लेकर जारी गाईडलाईन के पालन कराने का आश्वासन दिया गया था पर सरकार ने उनकी बातों पर गौर नहीं किया और मेला को स्थगित कर दिया है. मेला स्थगित होने से पूजा कराने वाले ब्राह्मण, पिंडदान की सामग्री, कपड़ा, मूर्ति एवं अन्य समान बेचने वाले व्यवसायियों के समक्ष भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी,जिसके लिये सरकार को अब इंतजाम करना होगा.

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