City Post Live
NEWS 24x7

बिहार के चर्चित पूर्व IAS ऑफिसर मनोज श्रीवास्तव की कोरोना से मौत.

- Sponsored -

- Sponsored -

-sponsored-

सिटी पोस्ट लाइव : 1980 बैच के थर्ड टॉपर  रिटायर्ट आइएएस मनोज  श्रीवास्तव (Manoj Srivastava) की गुरुवार को  पटना एम्स (Patna AIIMS) में मौत हो गई. 62 साल के मनोज बिहार के पहले ऐसे वरीय प्रशासनिक अधिकारी हैं जिनकी मौत कोरोना (Corona) से हुई. कोविड के लक्षण पाए जाने के बाद मनोज व उनकी पत्नी नीना श्रीवास्तव दोनों को 17 जुलाई को एम्स में एडमिट कराया गया था. पत्नी ने कोरोना को मात दे दी पर मनोज कोरोना से  जंग हार गए.

मनोज जिस पद पर रहे बेहद लोकप्रिय अधिकारी  रहे. केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार में सचिव के पद पर रहते हुए अपने सेवा काल में जनोन्मुखी योजनाओं और उसके बेहतर क्रियान्यवन के लिए सरकार के साथ आमजनों के बीच भी लोकप्रिय बने रहे. भोजपुर के जिलाधिकारी के रूप में उन 550 जिलाधिकारियों में मनोज  शामिल थे, जिनका चयन प्रधानमंत्री के साथ होने वाली कार्यशाला के लिए किया गया था. 1985 में योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में डॉ मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) ने समेकित ग्रामीण विकास की योजना में इनके योगदान की खूब प्रशंसा की थी.

मनोज श्रीवास्तव इसलिए भी याद किये जा रहे हैं क्योंकि उन्होंने राज्य हित को हमेशा शीर्ष पर रखा. कर्तव्यों के निर्वहन में जी-जान से लगे रहे. यूनिसेफ के साथ बिहार शिक्षा परियोजनाओं को  धरातल पर लाने में अहम् भूमिका निभाई. यूनिसेफ के साथ बिहार शिक्षा परियोजना की परिकल्पना को वास्तविक धरातल पर लाने का श्रेय भी मनोज को  ही जाता है. काम्फेड के प्रबंध निदेशक के रुप में सुधा को बिहार ब्रांड के रूप में स्थापित कर लाखों ग्रामीणों व किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया.

आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव के रुप में 2007 के भीषण बाढ़ का कुशलता और मानवीयता के साथ मुकाबला किया था. उन्होंने  बिहार स्टडी सर्किल का संयोजन किया. एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल  स्टडीज के सभागार में प्रत्येक माह विभिन्न मुद्दों पर होने वाले सेमिनार में वे शामिल होते थे. 2009 में वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें जमशेदजी टाटा फेलोशिप मिली थी, जिसके अंतर्गत लंदन स्कूल आफ इकोनोमिक्स से प्रो पूअर गवर्नेस इन इंडिया पर अपना शोध पूरा किया.

2002 में इंग्लैंड के क्राइसिस रिसर्च सेंटर में रिसर्च फेलों के रूप में इनका चयन हुआ. उनकी पुस्तक सीइंग द स्टेट-गवर्नेंस एंड गवर्नमेंटलिटि इन इंडिया प्रशासनिक क्षेत्र में आज भी एक टेक्स्ट बुक की तरह स्वीकार की जाती है. जवाहरलाल नेहरू विश्व विद्यालय से समाजशास्त्र में मास्टर करने के बाद मनाेज 1980 में प्रशासनिक सेवा में आए थे. इस वर्ष ये थर्ड टॉपर थे. इससे पहले 1979 में इनका चयन आइपीएस के लिए हुआ था.

मनोज  छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल डीएन सहाय के बड़े दामाद थे. वे वरीय आइपीएस एडीजी आलोक  राज के साढ़ू थे. 38 पाटलिपुत्र कॉलोनी में रहने वाले मनोज को दो बेटे और एक बेटी हैं. बड़े बेटे सागर श्रीवास्तव इंदौर  में आइआरएस के अधिकारी हैं जबकि छोटे बेटे शेखर श्रीवास्तव क्लैट करने के बाद दिल्ली में किसी लॉ फर्म कंपनी में हैं.  बेटी रौशनी श्रीवास्तव भी दिल्ली में ही किसी लॉ फर्म में हैं.

-sponsored-

- Sponsored -

-sponsored-

Comments are closed.