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अक्तूबर से शुरू होगा कोरोना वैक्सीन टीकाकरण अभियान.

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सिटी पोस्ट लाइव :  दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन बनाने को लेकर काम लगातार जारी है. दुनियाभर में करीब 23 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिसमें से कुछ के ट्रायल अंतिम चरण में हैं यानी कभी भी खुशखबरी मिल सकती है. इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर रूस से एक अच्छी खबर आ रही है. यहां के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को का कहना है कि सरकार अक्तूबर में नागरिकों को वैक्सीन देने की योजना बना रही है और इसके लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाने की तैयारी हो रही है.

हालांकि कई विशेषज्ञ रूस की इस वैक्सीन को लेकर चिंता भी जाहिर कर रहे हैं. उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि लोगों को वैक्सीन की खुराक देने से पहले जरूरी सभी टेस्ट किए जा रहे हैं या नहीं. अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची ने भी इसी तरह की चिंता जताई है. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस साल के अंत तक अमेरिका के पास कोरोना की सुरक्षित और कारगर वैक्सीन होगी. रूस की इस वैक्सीन को मॉस्को के गमलेया इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है. वैज्ञानिक 10 अगस्त या उससे पहले ही वैक्सीन की मंजूरी के लिए तेजी से काम कर रहे हैं.

पिछले महीने की रिपोर्ट में बताया गया था कि सबसे पहले यह वैक्सीन फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स यानी सीधे तौर पर कोरोना संक्रमित लोगों की सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मचारियों को दी जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की इस वैक्सीन का अभी दूसरा चरण चल रहा है, लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह चरण तीन अगस्त तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद तीसरे चरण के ट्रायल की तैयारी होगी. रूसी वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने यह वैक्सीन इस वजह से जल्दी तैयार कर ली, क्योंकि यह अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए पहले से ही निर्मित एक वैक्सीन का संशोधित संस्करण है. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि वैक्सीन बनाने की इस परियोजना के निदेशक अलेक्जेंडर गिन्सबर्ग ने खुद पर भी इस वैक्सीन का टेस्ट किया है.

अमेरिका में भी वैक्सीन बनाने को लेकर जोरों-शोरों से काम चल रहा है. मॉडर्ना कंपनी की यह वैक्सीन ट्रायल के अंतिम चरण में है.हाल ही में 30 हजार लोगों पर इसका परीक्षण शुरू किया गया है. अब सिर्फ नतीजों का इंतजार है. अमेरिका की इस वैक्सीन के साल के आखिर तक आ जाने की उम्मीद है. ब्रिटेन की वैक्सीन भी ट्रायल के अंतिम चरण में है. इस वैक्सीन का नाम ChAdOx1 है, जिसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है. दावा किया गया है कि अगर सभी परीक्षण सफल रहते हैं तो यह वैक्सीन इस साल के अंत तक बाजार में उपलब्ध हो जाएगी.

भारत में वैक्सीन के दो प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है. इसमें आईसीएमआर और भारत बायोटेक द्वारा तैयार वैक्सीन भी शामिल है, जिसका नाम ‘कोवैक्सीन’ (Covaxin) है. पिछले महीने ही दिल्ली एम्स, पटना एम्स और रोहतक पीजीआई समेत अन्य संस्थानों में इसका मानव परीक्षण शुरू किया गया है. यह कब तक बाजार में उपलब्ध होगी, इसको लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.

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