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लालू के नव-रत्नों के साथ क्यों तालमेल नहीं बिठा पा रहे तेजस्वी यादव?

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सिटी पोस्ट लाइव : जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नई पीढ़ी के नेताओं के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही हैं उसी तरह तेजस्वी यादव अपनी पार्टी के अनुभवी बुजुर्ग नेताओं से तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं.कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्षा सोनिया गांधी अपने पुराने क्षत्रपों के सहारे हैं और युवा नेता बगावत कर रहे हैं उसी तरह तेजस्वी यादव पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को नजर-अंदाज कर रहे हैं.लालू यादव  (Lalu Prasad Yadav) के सभी नव-रत्न आज उपेक्षित और नाराज हैं.जिनके  बलबूते (Bihar) बिहार  में 15 सालों तक लालू यादव ने शासन किया था आज वो किनारे लगा दिए गए हैं. आज तेजस्वी युग में आरजेडी (RJD) का स्वरूप जब बदल रहा है तो पुराने नेताओं की कोई अहमियत नहीं रह गई है.

लालू के संकटमोचक कहे जाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) न सिर्फ पार्टी के पद को त्याग कर  अलग-थलग पड़े हुए हैं .पार्टी से हमेशा के लिए मुक्त भी होने का मन बना रहे हैं. कहने को रघुवंश बाबू आज कोरोना संक्रमण (COVID-19) के चलते होम क्वारन्टीन (Home quarantine) हैं लेकिन असलियत ये भी है कि आज पार्टी उनसे खुद किनारा करने में लगी है. अंदरखाने में खबर ये भी है पार्टी अब तो रामा सिंह को रघुवंश प्रसाद सिंह से कही ज्यादा तवज्जो भी देने लगी है और शायद इसी बात को भांपकर रघुवंश बाबू ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा तक दे दिया है.

रघुवंश प्रसाद सिंह का मामला जो भी हो लेकिन इतना तय है कि तेजस्वी (Tejaswi Prasad Yadav) अपने पिता लालू की तरह रघुवंश प्रसाद को उतना तवज्जो देने के मूड में नहीं है.शिवानन्द तिवारी भी पार्टी में अलग-थलग पड़े हुए हैं. जब से शिवानन्द तिवारी ने तेजस्वी के कोरोना के संकट काल में दिल्ली प्रवास पर सवाल उठाया है,पार्टी में अलग थलग पड़ गए हैं.उन्होंने  पार्टी के सभी कार्यक्रमों से या तो दुरी बना ली है या फिर दूर कर दिए गए हैं. खबर ये है कि तेजस्वी  बाबा को फोन तक नहीं करते और पार्टी के कार्यक्रमों की इन्हें कोई जानकारी तक भी नहीं होती.

हालांकि लंबे समय के बाद इस बार पार्टी के 24 वें स्थापना दिवस के मौके पर तेजस्वी यादव ने खुद बाबा शिवानन्द तिवारी और रघुवंश प्रसाद सिंह को फोन किया था. रघुवंश बाबू तो कोरोना संक्रमण की वजह से अभी होम क्वारन्टीन हैं लेकिन शिवानन्द तिवारी ने भी अपनी लंबी उम्र और कोरोना का हवाला देकर पार्टी के स्थापना दिवस से दूरी बना ली. लेकिन इसके पीछे असली वजह ये है कि शिवानन्द तिवारी और रघुवंश प्रसाद सिंह की पार्टी जिस तरह से अनदेखी कर रही है ये पुराने नेता काफी नाराज हैं . रघुवंश प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से पहले इस्तीफा दे दिया तो शिवानन्द तिवारी पार्टी के बड़े कार्यक्रमों से लगातार दूरी बना रहे हैं.रघुवंश प्रसाद और शिवानद तिवारी दोनों को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें राज्य सभा भेजेगी लेकिन पार्टी ने उन्हें पूछा तक नहीं.शिवानद तिवारी को तो लोक सभा चुनाव का टिकेट भी नहीं दिया.

एक ही बुजुर्ग नेता है जगदानन्द सिंह तेजस्वी यादव के साथ नजर आ रहे हैं.लेकिन मार्गदर्शक की जगह चेला की भूमिका में नजर आ रहे हैं.उनके व्यवहार से पार्टी के कार्यकर्त्ता से लेकर नेता सब नाराज हैं. शिवानन्द तिवारी का बेटा विधायक है और आगे भी चुनाव लड़ना है इसलिए शिवानन्द तिवारी ने इस आशंका से चुप्पी साध ली है कि कहीं वो निशाने पर न आ जाए. उधर रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी छोड़ने के लिए रामा सिंह के पार्टी में इंट्री का इंतज़ार कर रहे हैं. एनडीए के नेताओं का कहना है कि ये सब तेजस्वी के अहंकार का ही नतीजा है कि लालू के सभी नव-रत्न आज किनारे लगा दिए गए हैं.

तेजस्वी यादव न तो बुजुर्गो पर भरोसा कर पा रहे हैं और ना ही योग्य युवाओं की नई फ़ौज बना पा रहे हैं.तेजस्वी यादव को जिस तरह से जगदानंद सिंह हैंडल कर रहे हैं ,जिस तरह से तेजस्वी गंभीरता के साथ चुनाव की तैयारी करने की बजाय वाव-विवाद में उलझे हुए हैं, उनके नेत्रित्व पर सवाल उठने लगा है.

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