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18 मई के बाद लॉकडाउन-4, आत्मनिर्भर भारत के लिए 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज.

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18 मई के बाद लॉकडाउन-4, आत्मनिर्भर भारत के लिए 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज.

सिटी पोस्ट लाइव : प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़ कर दिया है कि अभी लॉकडाउन ख़त्म नहीं होनेवाला है.18 मई से फिर से लॉकडाउन लागू होगा लेकिन लॉकडाउन -4 का रूप-रंग नया होगा. मोदी ने साफ़ कर दिया कि लॉकडाउन-4 भी होगा लेकिन वो पूरी तरह से नए रंग-रूप में होगा. मोदी ने कहा कि 18 मई से पहले इसकी जानकारी दे दी जाएगी.उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्रियों से सलाह-मशविरा के बाद इस पर अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा. फ़िलहाल देश में 17 मई तक लॉकडाउन-3 लागू है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित. करते हुए बीस लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की है.मोदी ने कहा कि ये पैकेज भारत की जीडीपी का क़रीब-क़रीब दस प्रतिशत है. मोदी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी देंगी.लेकिन मोदी के अनुसार इस पैकेज के ज़रिए देश के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को बीस लाख करोड़ रुपए का सपोर्ट मिलेगा.मोदी ने कहा कि बीस लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, दो हज़ार बीस में, देश की विकास यात्रा को, ट्वेंटी लैक्स करोड़, 20-20 में, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा.आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉज़ सभी पर बल दिया गया है.

मोदी ने कहा कि ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे एमएसएमई के लिए हैं, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मज़बूत आधार है.ये आर्थिक पैकेज, देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थित, हर मौसम में, देशवासियों के लिए दिन रात परिश्रम कर रहा है.ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है जो ईमानदारी से टैक्स देता है और देश के विकास में अपना योगदान देता है.ये आर्थिक पैकेज भारत के उद्योग जगत के लिए हैं जो भारत के आर्थिक सामर्थ्य को बुलंदी देने के लिए संकल्पित है.कल से शूरू करके आगे आने वाले कुछ दिनों तक वित्तमंत्री द्वारा आपको आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरित इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी.

मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि देश में बड़े पैमाने पर सुधार किए जाएंगे. ये जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए बोल्ड रिफॉर्म्स की प्रतिबद्धता के साथ अब देश का आगे बढ़ाना अनिवार्य है.आपने भी अनुभव किया है कि बीते छह वर्षों में जो रिफॉर्म्स हुए उनके कारण आज संकट के इस समय भारत की व्यवस्थाएं अधिक समर्थ, अधिक सक्षम नज़र आई हैं.वरना कौन सोच सकता था कि भारत सरकार जो पैसे भेजेगी वो पूरा का पूरा ग़रीब की जेब में, किसान की जेब में पहुंच पाएगा, लेकिन ये हुआ. वो भी तब हुआ जब तमाम सरकारी दफ्तर बंद थे, ट्रांस्पोर्ट के साधन बंद थे.

मोदी ने कहा कि जनधन, आधार, मोबाइल, जेएएम, जैम की शक्ति से जुड़ा सिर्फ़ एक रिफॉर्म था जिसका असर हमने देखा.अब रिफॉर्म्स के उस दायरे को व्यापक करना है, नई ऊंचाई देनी है.ये रिफॉर्म्स खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी संकट के समय किसान पर कम से कम असर हो.ये रिफॉर्म्स रेशनल टैक्स सिस्टम, सरल और स्पष्ट नियम क़ानून, उत्तम इंफ्रास्ट्रक्चर, समर्थ और सक्षम ह्यूमन रिसोर्सेज़ और मज़बूत फ़ाइनेंशिल सिस्टम के निर्माण के लिए होंगे.ये रिफॉर्म्स बिज़नेस को प्रोत्साहित करेंगे, निवेश को आकर्षित करेंगे और मेक इन इंडिया के हमारे संकल्प को सशक्त करेंगे.

मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पांच स्तंभों पर खड़ा होगा.पहला पिलर, इकोनॉमी: एक ऐसी इकोनॉमी जो इंक्रीमेंटल चेंज नहीं बल्कि क्वांटम जंप लाए.दूसरा पिलर, इंफ्रास्ट्रक्चर: एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बनें.तीसरा पिलर, हमारा सिस्टम: एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं बल्कि इक्कीसवीं सदी के सपनों को साकार करने वाली टेक्नोलॉजी ड्रिवन व्यवस्थाओं पर आधारित हो.चौथा पिलर, हमारी डेमोग्राफ़ी: दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी में हमारी वाइब्रेंट डेमोग्राफ़ी हमारी ताक़त है. आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्चा का स्रोत है.

मोदी ने डिमांड को पांचवा पीलर बताते हुए कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताक़त है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की ज़रूरत है. देश में डिमांड बढ़ाने के लिए, डिमांड को पूरा करने के लिए हमारी सप्लाई चेन के हर स्टेकहोल्डर का सशक्त होना ज़रूरी है. हमारी सप्लाई चेन, हमारी आपूर्ति की उस व्यवस्था को हम मज़बूत करेंगे, जिसमें मेरे देश की मिट्टी की महक हो, हमारे मज़दूरों के पसीने की ख़ुशबू हो.

विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है, आत्मनिर्भर भारत.हमारे यहां, शास्त्रों में कहा गया है-एसपंथ- यानी यही रास्ता है, आत्मनिर्भर भारत.साथियों, एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं.इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है. एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है.मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात बताने का प्रयास करता हूं, जब कोरोना संकट शुरू हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी.

एन-95 मास्क का भारत में नाम मात्र उत्पादन होता था, आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज़ दो लाख पीपीई और दो लाख एन 95 मास्क बनाए जा रहे हैं.ये हम इसलिए कर पाए क्योंकि भारत ने आपदा को, अवसर में बदल दिया.आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होने वाली हैं.साथियों आज विश्व में आत्म निर्भर शब्द के मायने पूरी तरह बदल गए हैं.ग्लोबल वर्ल्ड में आत्मनिर्भरता की परिभाषा बदल रही है.अर्थ केंद्रित वैश्वीकरण बनाम मानव केंद्रित वैश्वीकरण की चर्चा आज ज़ोंरों पर है.

विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन आज आशा की किरण नज़र आता है.भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वासुदेव कुटुम्बकम है. विश्व एक परिवार.भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तब आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता है.भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है. जो संस्कृति जय जगत में विश्वास रखती हो, जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, जो अपनी आस्था में मातृ भूमिः पुतौ अहम पृथ्वीः इसकी सोच रखती हो, जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि जब आत्मनिर्भर बनती है तब उससे एक सुखी समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है.

भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है.भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता ही है.जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर भी बदलती है. टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही है. इंटरनेशनल सोलर अलायंस ग्लोबल वार्मिंग के ख़िलाफ़, भारत की दुनिया को सौग़ात है.निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सबकुछ अकल्पनीय है. ये क्राइसिस अभूतपूर्व है.लेकिन थकना, हारना, टूटना, बिखरना मानव को मंज़ूर नहीं है.सतर्क रहते हुए, ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है.

आज जब दुनिया संकट में है, तब हमें अपना संकल्प और मज़बूत करना होगा.साथियों हम पिछली शताब्दी से ही लगातार सुनते आए हैं कि इक्कीसवीं सदी हिंदुस्तान की है.हमें कोरोना से पहले की दुनिया, वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने समझने का मौक़ा मिला है.कोरोना संकट के बाद भी, दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं. जब इन दोनों कालखंडों को भारत के नज़रिए से देखते हैं तो लगता है कि इक्कीसवीं सदी भारत की हो ये हमारा सपना ही नहीं, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी भी है.

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