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जानिए कोरोना के डर से क्यों फूल रहे बिहार सरकार के हाथ-पांव?

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जानिए कोरोना के डर से क्यों फूल रहे बिहार सरकार के हाथ-पांव?

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. राज्य में 19 अप्रैल के बाद से कोरोना पॉजिटिवों (Corona positive) की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है.अगर यहीं रफ़्तार रहा तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जायेगी. इस बीच प्रवासी मजदूरों-छात्रों के घर वापसी से संक्रमण का खतरा और भी बढ़ गया है.प्रतिदिन दो अंकों में वृद्धि दर्ज की जा रही है.मंगलवार  तक ये आंकड़ा 535 पहुंच गया है. ये संख्या बीते 19 अप्रैल के 78 के आंकड़े से करीब सात गुना ज्यादा है. इस बीच बिहार सरकार ने केंद्र की गाइडलाइन में संशोधन करते हुए बिहार से ग्रीन जोन के 13 जिलों को मानने से इंकार कर दिया और उसे ऑरेंज जोन में शामिल कर लिया. जाहिर है फैसला बहुत बड़ा है बावजूद इसके सरकार इस पर आगे बढ़ रही है.

बिहार में कोरोना वायरस के कारण मौत की संख्या तो अब तक महज चार ही है, लेकिन जिस तरह से बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं इससे चिंता बढ़ गी है. दरअसल राज्य में अब-तक मिले कोरोना पॉजिटव लोगों में 81 प्रतिशत वैसे थे, जिनमें इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे. 19 प्रतिशत ही ऐसे थे, जिनके अंदर कोरोना बीमारी के लक्षण जैसे, सर्दी, सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ और बुखार जैसे लक्षण सामने दिखे. जाहिर है 81 प्रतिशत पॉजिटिव लोगों में लक्षण नहीं पाया जाना चिंता का सबब है, क्योंकि उन्हें इसका आभास ही नहीं रहता है कि उन्हें यह बीमारी है और वे अनजाने में दूसरे लोगों में यह संक्रमण फैला देंगे.

बिहार में 22 मार्च को कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला आया था. सूबे में अब तक 32 जिले कोरोना से प्रभावित हो चुके हैं. मुंगेर में सबसे अधिक 102 मामले सामने आ चुके हैं. वहीं बक्सर- 56, रोहतास- 52, पटना- 44, नालंदा- 36, सीवान- 32, कैमूर- 31, मधुबनी- 23, गोपालगंज- 18, भोजपुर- 18 , बेगूसराय- 13, औरंगाबाद- 13, भागलपुर- 11, पश्चिम चंपारण- 11, कटिहार- 10, पूर्वी चंपारण- 9   (एक की मौत), सारण- 8, सीतामढ़ी- 6   (एक की मौत), गया- 6, दरभंगा- 5 ,अरवल- 5, लखीसराय- 4, जहानाबाद- 4, नवादा- 4, वैशाली- 3  (एक की मौत), बांका- 3, मधेपुरा- 2, अररिया- 2, शेखपुरा- 1, पूर्णिया- 1, शिवहर- 1 और समस्तीपुर में एक मरीज मिल चुके हैं.

कोरोना को लेकर बिहार सरकार के लिए परेशानी ये भी है कि पटना, मुंगेर, सीवान और गया जैसे जिलों में कोरोना संक्रमण की चेन रोकने के बाद भी कई कोरोना पॉजिटिव सामने आ गए. गौरतलब कि पटना में पहले चरण में सभी पांच, मुंगेर में पहले चरण में सभी सात, गया में पहले चरण में पांच और सीवान में संक्रमण की चेन थमने के बाद फिर 32 लोग संक्रमित हो गए. मुंगेर में कोरोना की चेन टूटी, तो जमालपुर ने परेशानी बढ़ा दी. जब जमालपुर में स्थिति थोड़ी नियंत्रण में आई तो कोरोना ने दूसरे नए इलाके में पांव पसारना शुरू कर दिया. यह अब बरियारपुर और टेटिया बंबर तक पहुंच गया है. जाहिर है बिहार सरकार के लिए ये मुश्किल स्थिति है.

बिहार में कुल मामलों में 60 साल या इससे ज्यादा की उम्र वाले कोरोना मरीजों (Corona patients) संख्या सिर्फ 19 प्रतिशत है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 40 साल तक के लोगों में ज्यादा संक्रमण हो रहा है. प्रदेश में कुल मरीजों में महज दो प्रतिशत बच्चों में कोरोना वायरस है.

पूरे मार्च और 20 अप्रैल तक लगभग सीमांचल और मिथिलांचल के लगभग 20 जिलों में कोरोना का प्रसास नहीं था, लेकिन इन क्षेत्रों में लगातार आंकड़ा बढ़ने लगा और हर दिन औसतन पांच से दस कोरोना मरीज सामने आने लगे. ये बिहार सरकार के लिए चिंता का सबब इसलिए है कि 500 किलो मीटर से भी अधिक  बिहार और नेपाल की सीमा लगती है. यही नहीं दोनों देशों के बीच खुली सीमा है. ऐसे में चेक पोस्ट पर तो लोगों की आवाजाही पर ब्रेक है, लेकिन ऐसे कई प्वाइंट हैं जहां से लोगों का आवागमन रोका नहीं जा सकता. ऐसे में नेपाल से आए लोगों का आम लोगों में घुलना-मिलना खतरनाक साबित हो सकता है.

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