मजदूरों-छात्रों को वापस लाने की तैयारी में जुटी नीतीश सरकार, उतारी IAS की फौज
सिटी पोस्ट लाइव : भारत सरकार ने दुसरे राज्यों में फंसे मजदूरों और छात्रों के घर वापसी का रास्ता निकाल दिया है.गाईडलाइन्स में परिवर्तन कर प्रवासी मजदूरों-छात्रों को अपने घर वापस जाने का रास्ता साफ़ कर दिया है. लेकिन सबके जेहन में केवल एक ही सवाल है कि 25 लाख से ज्यादा मजदूरों को कैसे बिहार सरकार ला पायेगी.ईन सवालों से बेखबर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लॉकडाउन में परदेस में फंसे मजदूरों और छात्रों की वापसी को लेकर तैयारी शुरू कर दी है. नीतीश सरकार अपने लोगों को वापस लाने की तैयारी शुरू कर चुकी है.
खबर के अनुसार मुख्यमंत्री ने प्रवासी मजदूरों और छात्रों को वापस लाने के लिए नोडल ऑफिसरों को तैनात किया है. बिहार सरकार के ये अधिकारी संबंधित राज्यों से बातचीत और को-ऑडिनेट कर मजदूरों और छात्रों को वापस लायेंगे.दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के लिए पलका सहनी और शैलेंद्र कुमार.जम्मू कश्मीर लद्दाख- शैलेंद्र कुमार,पंजाब- मानवजीत सिंह ढिल्लो,हरियाणा- दिवेश सेहरा,राजस्थान- प्रेम सिंह मीणा,गुजरात- बी कार्तिकेय.गुजरात- बी कार्तिकेय उत्तराखंड- विनोद सिंह गुंजियाल,उत्तर प्रदेश- विनोद सिंह गुंजियाल और अनिमेष पराशर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़- मयंक बरवड़े,झारखंड- चंद्रशेखर, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम- आनंद शर्मा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना- राम चंद्र टूडू,तमिलनाडु और पांडिचेरी- के सेंथिल कुमार .पश्चिम बंगाल- किम, केरला- सफीना एन, महाराष्ट्र और गोवा के लिए आदेश तितरमारे को जिम्मा दिया गया है.
लेकिन 25 लोगों को बसों के जरिये लाना असंभव है.सभी लोगों को लाने के लिए एक लाख से ज्यादा बसें चाहिए.इतनी बसों की व्यवस्था हो भी जाती है तो इसके लिए बसों के किराए के रूप मेंदो हजार करोड़ रुपये देने होगें.अगर सभी वापस आ गए तो उनका स्वास्थ्य परिक्षण, उनका कोरेनटाईन और उनके खाने पीने की व्यवस्था करना बहुत आसान नहीं होगा.
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