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धारा-377 वैध है या नहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ा फैसला

समलैंगिकता पर फैसला सुप्रीम कोर्ट के ऊपर

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सिटी पोस्ट लाइव : धारा 377 यानि समलैंगिक संबंधों की वैधानिकता पर केंद्र सरकार ने फैसला सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दिया। केन्द्र सरकार ने इस मामले में अपना कोई स्पष्ट पक्ष नही रखा है। समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रहा है।गौरतलब है की चीफ जस्टिस के साथ, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही है। एडिश्नल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार की तरफ से जारी ऐफिडेविट में समलैंगिकता पर फैसला सुप्रीम कोर्ट के ऊपर छोड़ दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली संवैधानिक बेंच ने कहा कि वह इस बात का परीक्षण कर रहे हैं कि धारा-377 वैध है या नहीं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर दो बालिग व्यक्तियों के बीच आपसी सहमति से संबंध बनते हैं तो इसे आपराधिक करार नहीं दिया जा सकता। इधर तुषार मेहता ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, ‘हम कोर्ट पर छोड़ते हैं कि कोर्ट तय करे कि 377 के तहत सहमति से बालिगों का समलैंगिक संबंध अपराध है या नही। यदि सुनवाई का दायरा बढ़ता है यानि शादी या लिव इन तब हम विस्तार से हलफनामा देंगे।’

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