अपने विरोध में खड़े प्रत्याशी के लिए भी अटल बिहारी वाजपेयी ने मांगी थी कभी वोट
सिटी पोस्ट लाइव : वर्ष 1957 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी तीन संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ें थे. जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया. लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी ज़मानत ज़ब्त हो गई लेकिन बलरामपुर से चुनाव जीतकर वो दूसरी लोकसभा में पहुंचे. मथुरा में उनकी जमानत जब्त होने पर बाद में उनके एक नजदीकी साथी बांके बिहारी माहेश्वरी ने बताया कि मथुरा में बुरी तरह चुनाव हारने के पीछे खुद अटल जी ही थे.
अटल बिहारी वाजपेयी अपनी चुनावी रैलियों में लोगों से महेंद्र प्रताप सिंह के लिए वोट डालने की अपील कर रहे थे जो उसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार थे. उनका मकसद खुद चुनाव जीतना नहीं था बल्कि कांग्रेस के उम्मीदवार को हराना था. 1957 में दूसरी लोकसभा में भारतीय जनसंघ के सिर्फ 4 सांसद ही लोकसभा पहुंच पाए थे. इन सासंदों का परिचय तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से कराया गया और एक हैरान कर देने वाला वाक्या हुआ जिसका अंदाजा शायद वाजपेयी को भी नहीं था.
उस दौरान राष्ट्रपति ने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि वो किसी भारतीय जन संघ नाम की पार्टी को नहीं जानते. अटल बिहारी वाजपेयी उन चार सांसदों में से एक थे. तब भले ही राष्ट्रपति ने जनसंघ का नाम नहीं सुना हो लेकिन वही जनसंघ बाद में भारतीय जनता पार्टी तक का सफर तय करते हुए राजनीतिक सत्ता तक पहुंची और अटल बिहारी वाजपेयी उस पार्टी की तरफ से देश के प्रधानमंत्री बने.
एक ऐसी शख्सियत जिसका लोहा पूरी दुनिया ने माना और जिनकी विदेश नीति ने अमेरिका को भी अपना मुरीद बना दिया. अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे नेता रहे जिनकी शान में उनके विरोधी भी कसीदे पढ़ते हैं. किसी परिचय के मोहताज नहीं रहे. खैर बाद में एस.राधाकृष्णन ने एक टीवी इंटरव्यू में माना था कि आज भारतीय जनता पार्टी को कौन नहीं जानता. भारतीय जनता पार्टी उस वक़्त सत्ता में थी और अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री.
आशुतोष कुमार, नई दिल्ली
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