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नहीं दिए मैगजीन हाउस खोलने के आदेश, डीसी-एसपी में ठनी

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नहीं दिए मैगजीन हाउस खोलने के आदेश, डीसी-एसपी में ठनी

सिटी पोस्ट लाइव : पाकुड़ जिला नक्सलवाद प्रभावित है या नहीं…अब ये जिले के डीसी और एसपी के बीच बहस का मुद्दा बन गया है। दरअसल जिले के अमड़ापाड़ा में कोल ब्लॉक के लिए विस्फोटक रखने के लिए एक कंपनी ने मैगजीन हाउस खोलने के लिए एनओसी मांगी थी। इसे पाकुड़ एसपी शैलेंद्र प्रसाद वर्णवाल ने ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इस क्षेत्र में नक्सलियों का मूवमेंट है, विस्फोटकों का भंडारण सही नहीं होगा। इस पर उपायुक्त दिलीप कुमार झा ने एसपी के कृत्य को नकारात्मक बताते हुए गृह विभाग के प्रधान सचिव को चिट्‌ठी भेजी है। चिट्‌ठी में कहा गया है कि जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पाकुड़ को नक्सल मुक्त जिला घोषित किया है तो एसपी कैसे नक्सल समस्या की बात कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जिस कंपनी बीजीआर के मैगजीन हाउस पर सारा विवाद खड़ा हुआ है, उसके जीएम को हाल ही में एनआईए ने उग्रवादियों से संबंध के मामले में गिरफ्तार किया है।

जिस कंपनी पर विवाद उसी के जीएम को एनआईए ने उग्रवादियों से संबंध पर किया है गिरफ्तार : अमड़ापाड़ा का पचुवाड़ा नार्थ कोल ब्लाॅक पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (डब्लूबीपीडीसीएल) को आवंटित है। डब्ल्यूबीपीडीसीएल ने यहां खनन का काम बीजीआर कंपनी को आउटसोर्स किया है। कंपनी ने विस्फोटकों के भंडारण के लिए चिलगो गांव में मैगजीन हाउस स्थापित करने के लिए उपायुक्त ने एसपी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) मांगा था। अमड़ापाड़ा थाना प्रभारी सह इंस्पेक्टर से स्थल की जांच कराने के बाद एसपी ने चिलगो गांव को मैगजीन हाउस के लिए उपयुक्त नहीं माना।

डीसी ने पीएस (गृह) को लिखा पत्र : एसपी की रिपोर्ट को नकारात्मक कदम बताते हुए डीसी ने गृह कारा व आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि जब जिले में नक्सलियों का प्रभाव था उस समय भी एक अन्य कंपनी का मैगजीन हाउस उसी क्षेत्र में संचालित था।

चिलगो गांव ही क्यों : एसपी शैलेंद्र प्रसाद वर्णवाल ने कहा कि पाकुड़ को केवल एसआरई फंड से मुक्त किया गया है। यदि नक्सल मुक्त होता, तो आलूबेड़ा में एसएसबी फोर्स क्यों मौजूद है। हाल ही में डीआईजी राजकुमार लकड़ा के नेतृत्व में पाकुड़, दुमका व गोड्डा पुलिस द्वारा चिलगो व अन्य क्षेत्रों में संयुक्त रूप से लॉन्ग रेंज पेट्रोलिंग की गई। नक्सल प्रभावित चिलगो गांव ही क्यों, आसपास के सुरक्षित गांवों में मैगजीन हाउस बनाया जा सकता है।

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