कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा का आगाज, दूसरे दिन होगी मां ब्रहम्चारणी की आराधना
सिटी पोस्ट लाइव : कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा का आगाज हो गया। प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गयी। मंदिर, पंडाल और घरों में पूरे विधि विधान से कलश स्थापना के साथ ही मंत्रोच्चारण से सारा वातावरण आध्यात्मिक हो गया। दूसरे दिन गुरुवार को को नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में मां एक हर रूप की पूजा विधि और कथा का महत्व बताया गया है। मां ब्रह्मचारिणी की कथा जीवन के कठिन क्षणों में भक्तों को संबल देती है।
मां की उपासना का मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। मां के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।
मां के दूसरे स्वरूप की महिमा
नवदुर्गा में दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी का है इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया। छात्रों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी है, जिनका चन्द्रमा कमजोर हो तो उनके लिए मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करना अनुकूल होता है।
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