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भाई-बहनों का भाई दूज और कायस्थ समाज का चित्रगुप्त पूजा आज

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची. भाई दूज या यम द्वितीय भाई और बहन का त्योहार है। इस दिन बहने भाई की सुखद जीवन और लंबी आयु की कामना कर यम देव की पूजा करतीं हैं। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा की शुभकामनाएं दी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, यमुना अपने भाई यम से हर रोज घर आकर भोजन करने का निवेदन करतीं हैं, जिससे कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीय को यमदेव उनके यहां भोजन करने आते हैं। स्वागत-सत्कार से प्रसन्न यमदेव वर मांगने को कहते हैं। यमुना ने मांगा कि हर वर्ष इसी दिन आप आएंगे और जो बहन इस दिन भाई को इज्जत-सत्कार से उनके माथे में टीका लगा कर भोजन कराएगी, उस भाई का मान-सम्मान बढ़ेगा।

भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ट्वीट कर शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि भगवान चित्रगुप्त महाराज पूजा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। इससे पहले उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि आप सभी को भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह के प्रतीक भैया दूज की हार्दिक शुभकामनाएं।

पूजा के शुभ मुहूर्त

  • प्रातः काल 9.20 से 10:35 बजे तक है।
  • दोपहर 1.20 से 3.15 तक है।
  • संध्या 7.20 से रात 8.40 बजे तक।

भगवान चित्रगुप्त की पूजा बल, बुद्धि, साहस और शौर्य के लिए की जाती है। 9 इसे दवात पूजा के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य प्रणव मिश्रा ने कहा कि भगवान चित्रगुप्त परम पिता परमेश्वर ब्रम्हा जी के काया से उत्पन्न हुए हैं, जिसके कारण ये कायस्थ कहलाए और इनका नाम चित्रगुप्त कहलाया। इनके हाथों में कर्म की किताब, कलम और दवात है। इनकी लेखनी से ही जीवों को उनके कर्म के अनुसार न्याय मिलता है। भगवान चित्रगुप्त की पूजा घर के पुरुषों द्वारा की जाती है। उनके सामने अपने आय और व्यय का हिसाब रखते हैं। साथ ही नई बहियों पर “श्री” लिख कर काम की शुरुआत करते हैं। पूजा के बाद जाने-अनजाने में किए गए अपराधों के लिए क्षमा याचना करते हैं। महाभारत की सर शैया में सोये भीष्म पितामह ने भी भगवान चित्रगुप्त की विधिवत पूजा की थी, ताकि उन्हें मुक्ति मिल सके।

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