झारखंड विधानसभा : भाजपा विधायकों का फिर हंगामा, आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को भी प्रश्नोत्तरकाल कार्यकाल की कार्यवाही पूरी तरह से बाधित रही। सभा की कार्यवाही शुरू होते ही बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग को लेकर भाजपा विधायक आसन के निकट आकर नारेबाजी करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांति बनाये रखने की अपील की, लेकिन शोर-शराबा थमते नहीं देख विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने सभा की कार्यवाही को अपराह्न साढ़े बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
सभा की कार्यवाही दुबारा शुरू होने के बाद विपक्षी सदस्य बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग को लेकर आसन के निकट आकर हंगामा करने लगे। विपक्षी सदस्यों के हंगामे का विरोध करते हुए कांग्रेस के इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई सदस्य भी वेल में आकर हंगामा करने लगे। हंगामे के बीच ही वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव ने सभापटल पर वर्ष 2019-20 का झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट रखा। इस दौरान वित्तमंत्री ने सभापटल पर राज्य के वित्त एवं विकास को लेकर श्वेतपत्र भी पेश किया। विधानसभा अध्यक्ष ने सभा में सुदेश महतो को आजसू पार्टी विधायक दल के नेता का दर्जा दिये जाने की घोषणा की।इसके बाद सभा की कार्यवाही भोजनावकाश के लए लिए स्थगित कर दी गयी ।
ससे पहले विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले चार वर्षें में अर्थव्यवस्था की औसत वार्षिक वृद्धि दर पांच दशमलव सात प्रतिशत रही। जबकि वित्तीय वर्ष दो हजार उन्नीस-बीस में औसत वार्षिक वृद्धि दर के सात दशमलव दो प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार स्थित मूल्य 2011-12 के अनुसार राज्य का सकल घरेलू उत्पाद, जीएसडीपी वर्ष 2014-15 में 1,86,534 करोड़ रुपये था, जिसका वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2,49,554 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। वर्तमान मूल्य पर राज्य का घरेलू उत्पाद जीएसडीपी वर्ष 2014-15 में 2,18,525 करोड़ रुपये था, जिसके वर्तमान वित्तीय वर्ष में 3,43,126करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान मूल्य पर 83592 रुपये तथा स्थिर मूल्य पर 60339 रुपये रहने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2014-15 में स्थित मूल्य पर झारखंड की प्रति व्यक्ति आय 47781 रुपये थी। दो वर्षों के बाद वर्ष 2016-17 में इसमें 45 रुपये की वृद्धि हुई। इसके बाद के कुछ वर्षों में कुछ सुधार हुआ और वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच इसमें चार प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हुई। वर्तमान वर्ष में इसमें 5.6 प्रतिशत के वृद्धि का अनुमान है।
वर्ष 2019-20 में सेवा क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि का अनुमान है। विगत वर्ष की तुलना में इसमें 8.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस अवधि में सेवा क्षेत्र के अंतर्गत व्यापार एवं मरम्मत, होटल व रेस्टुरेंट, परिवहन, विशेषकर हवाई यात्रा, रीयल स्टेट और संचार व्यवस्था में प्रभावशाली वृद्धि सामने आयी है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच स्थिर मूल्य पर भारत का सकल घरेलू उत्पाद 7.5 प्रतिशत के यौगिक वार्षिक वृद्धि दर 7.5प्रतिशत की दर से बढ़ा , इस अवधि में जीएसडीपी स्थित मूल्य पर मात्रा 5.7 प्रतिशत के यौगिक वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जो राष्ट्रीय औसत से 1.8 प्रतिशत कम है।
झारखंड की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में से एक है। वर्ष 2015-16 में देश के 28 राज्यों में से इसका स्थान 26वां था। वर्ष 2015-16 में केवल बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रति व्यक्ति आय ही झारखंड से कम थी। अभी भी देश के 28 राज्यों में झारखंड का स्थान 25वां है। वर्ष 2016-17 के पश्चात बिहार और उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मणिपुर ऐसा राज्य है, जिसकी प्रति व्यक्ति झारखंड से कम है।
राज्य की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में तृतीयक क्षेत्र का योगदान सर्वाधित रहा है। वर्ष 2019-20 में राज्य की अर्थव्यवस्था के वृद्धि में इसका योगदान 65 प्रतिशत का रहा, जबकि प्राथमिक एवं द्वितीय क्षेत्रों का योगदान लगभग 15 से 20 प्रतिशत का रहा है। जुलाई 2019 में आॅक्सफोर्ड प्रोवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनेसिटिव और यूनाईटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम, यूएनडीपी द्वारा प्रकाशित वैश्विक बहुआयामी गरीबी इंडेक्श्स 2019 के अनुसार झारखंड के लगभग 45.6प्रतिशत (1.62करोड़) लोग वर्ष 2015-16 में गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे है। वहीं राज्य में बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 10.5 प्रतिशत है। राज्य में पुरुषों की बेरोजगारी दर 8.2 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं की 5.2 प्रतिशत है। राज्य के अंतर्गत रोजगार से जुउ़े लोगों में 61.3 प्रतिशत स्वरोजगार, 23.6 प्रतिशत श्रमिक और मात्र 15.1 प्रतिशत लोग ही नियमित वेतन व पारिश्रमिक पर काम करते है। वहीं राज्य में गभग 46.75 प्रतिशत श्रमिक कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन क्षेत्र, 18.54 प्रतिशत विनिर्माण, 8.7 प्रतिशत उत्पादन तथा 7.9 प्रतिशत व्यापार एवं मरम्मत क्षेत्र से जुड़े है। वसायिक वितरण में लिंग आधारित अंतर है। पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन प्रक्षेत्र में कार्यरत है। इस प्रक्षेत्र में काम करने वालों में 43 प्रतिशत पुरुष, जबकि 63 प्रतिशत महिलाएं है। वहीं दूसरी तरफ व्यापार एवं मरम्मत के क्षेत्र में कार्यरत लोगों में 9 प्रतिशत और मात्र 2 प्रतिशत महिलाएं है। यह सबसे तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्रों में से एक है।
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