सिटी पोस्ट लाइवः बिहार की सियासत में भूचाल है खासकर एनडीए में। विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में टूट तय मानी जा रही है क्योंकि लोजपा के सुप्रीमो चिराग पासवान सीएम नीतीश कुमार और जेडीयू पर हमले का एक भी मौका नहीं छोड़ते। रही सही कसर जेडीयू के कई बड़े नेताओं ने पूरी कर दी है जिनके बयानों से साफ है कि जेडीयू और एलजेपी के बीच सियासी रिश्ते खत्म हो चुके हैं। कल सिटी पोस्ट लाइव से बातचीत करते हुए जेडीयू नेता डाॅ. अजय आलोक ने दावा किया था कि बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटें बंट चुकी है अब बीजेपी लोजपा को साथ रखना चाहती है या नहीं चाहती है वो जाने। इसके साथ हीं डाॅ. अजय आलोक ने चिराग पासवान को दलाल बताते हुए बीजेपी को नसीहत दी थी कि बीजेपी जितनी जल्दी हो दलालों से मुक्त हो वर्ना नाश तय है। लेकिन ऐसा लगता है बीजेपी चिराग पासवान के साथ मजबूती से खड़ी है।
बीजेपी नेता सच्चिदानंद राय ने अजय आलोक को हैसियत नहीं भूलने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में 17-17 सीटों पर बीजेपी जेडीयू चुनाव लड़ी। 6 सीटों पर लोजपा चुनाव लड़ी। अगर एलजेपी से हमारा कोई रिश्ता नहीं होता तो लोकसभा चुनाव में लोजपा 6 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ती। पशुपति कुमार पारस सरकार में मंत्री नहीं बनते। अजय आलोक जैसी हैसियत के लोग एनडीए में कुछ भी तय नहीं करते। हैसियत से ज्यादा बोल रहे हैं अजय आलोक। भाषा की मर्यादा ध्यान में रखी जानी चाहिए।
सच्चिदानंद राय ने कहा कि अजय आलोक बड़े नेता बनना चाहते हैं तो भाषा की मर्यादा का ख्याल रखने सीखे। जेडीयू के बड़े नेताओं का बयान चिंता में डालने वाला। चिराग पासवान जनता की बात रख रहे हैं। चिराग पासवान ने हमेशा भाषा की मयार्दा का ख्याल रखा है। जनता की आवाज जब रखी जाती है तो सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को खलती है। सरकार में शामिल लोगों को बड़ा दिल रखना चाहिए और सहयोगियों दलो की आलोचना को स्वीकार करना चाहिए उनके लिए अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। चिराग पासवान काॅमन मिनिमन प्रोग्राम की मांग कर रहे है यह मांग उनकी सही और बीजेपी भी चाहती है कि एक काॅमन मिनिमम प्रोग्राम बनना चाहिए।
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