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झारखंड हाईकोर्ट के निकट पत्थर गाड़ने की कोशिश

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड में पत्थलगड़ी का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर निकल गया। करीब 200 पत्थलगड़ी समर्थक सोमवार को अचानक राजधानी रांची के हाईकोर्ट भवन के निकट आ पहुंचे। राज्य के सिमडेगा,खूंटी, गुमला और पश्चिमी सिंहभूम जिले से करीब 200 की संख्या में पत्थलगड़ी समर्थक पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में हाई सिक्योरिटी जोन में स्थित हाईकोर्ट के पास जमा होने लगे। लोगों की भीड़ जुड़ते देख पुलिस-प्रशासन भी तत्काल सक्रिय हो गयी। पत्थलगड़ी समर्थक अपने साथ पत्थर की शिलापट्ट लेकर आये थे, जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों की बात लिखी गयी थी। परंतु मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें समझा-बुझा कर वापस वापस भेज दिया।

पत्थलगड़ी करने आये लोगों ने खुद को  कुडुख नेशनल काउंसिल नामक संगठन के सदस्य बताया। काउंसिल के सदस्य धनेश्वर टोप्पो ने कहा कि आदिवासियों को संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत आदिवासी प्र शासन और नियंत्रण का अधिकार राष्ट्रपति द्वारा दिया गया है।  साथ में संविधान आदेश -229 भी है, जो प्रधानमंत्री, लोकसभा, विधानसभा, उच्चतम कोर्ट और राज्यपाल से भी बड़ा अधिकार क्षेत्र है।  इसे काटने की क्षमता, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को भी नहीं है। इसे 71 सालों से छिपाकर रखा गया था, जिसका पर्दाफाश हो चुका है।

काउंसिल सद्स्यों ने कल राज्यपाल से मुलाकात करने की बात कही है। समर्थकों ने बताया कि अगर बात नहीं बनी तो जल्द ही 50 हजार लोग राजधानी में आकर प्रदर्शन करेंगे।  गौरतलब है कि वर्ष 2019 में भी पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में खूंटी, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, गुमला और पश्चिमी सिंहभूम जिले में पत्थलगड़ी की दर्जनों घटनाएं हुई थी। इस मामले में पूर्ववर्ती सरकार में देशद्रोह के कई मामले दर्ज किये गये थे और करीब दस हजार लोगों को आरोपी बनाया गया था। लेकिन हेमंत सोरेन सरकार ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक में ही इन मुकदमों को वापस लेने की घोषणा की थी।

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