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पूर्व डीजीपी की बहू का गंभीर आरोप, हेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के पूर्व डीजीपी डीके पांडेय की बहू रेखा मिश्रा ने महिला थाने में दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया है। उसने आरोप लगाया है कि उसका पति शुभांकर पांडेय समलैंगिक है। जब उसने अपने ससुर पूर्व डीजीपी डीके पांडेय और सास डॉक्टर पूनम पांडेय को इसकी जानकारी दी तो उन लोगों ने मुंह बंद रखने के लिए कहा। यहां तक की एक बार ससुर डीके पांडेय ने खुद उसके साथ संबंध बनाने की कोशिश भी की। यह भी कहा कि किसी और से संबंध बना लो। बहू का आरोप है कि 3 साल पहले उसकी शादी शुभांकर से हुई थी। शादी के बाद से ही शुभांकर की उसमें रुचि नहीं रही। रेखा मिश्रा ने एफआइआर में पति, ससुर और सास को आरोपी बनाया है।शुभांकन की पत्नी रेखा मिश्रा ने दहेज प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए कानून सम्मत कार्रवाई करने का आग्रह किया है। शादी के बाद से ही दहेज की मांग को लेकर पति, सास व ससुर ताना देने लगे। उन्होंने शनिवार को महिला थाने पहुंचकर ससुर, सास व पति को आरोपित बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है।

रेखा मिश्रा ने एफआइआर में कहा है कि शादी के दूसरे दिन पता चला कि उसका पति समलैंगिक है। जब यह बात उसने अपने ससुर डीजीपी डीके पांडेय और सास को बताई ताे उन्‍होंने कहा कि मेडिकल प्रॉब्‍लम है। इलाज के बाद ठीक हो जाएगा। इस पर विश्‍वास करते हुए उसने 3 साल गुजार दिए। काफी इंतजार करने के बाद भी जब कुछ ठीक नहीं हुआ तो पति, सास और ससुर ने सुखद वैवाहिक जीवन गुजारने के लिए दूसरों के साथ संबंध बनाने के लिए कहा। एक बार शादी समारोह में ससुर ने खुद के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए कहा। ससुर की इस हरकत से मुझे काफी परेशानी हुई और मैं मानसिक तौर पर काफी परेशान रहने लगी।

यहां तक की आत्‍महत्‍या तक करने की सोचने लगी। सास मुझे शुभांकर से दूर रखने के लिए एनजीओ में बिजी रहने के लिए कहती थी। पुलिस के अनुसार, रेखा मिश्रा भाजपा नेता गणेश मिश्रा की बेटी है। दो दिन पहले गणेश मिश्रा अपनी बेटी से कोतवाली डीएसपी से मिले थे। इसके बाद शनिवार को महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

पूर्व में भी विवादों में रहे हैं डीके पांडेय

झारखंड के पूर्व डीजीपी डीके पांडेय इससे पूर्व भी कई मामलों को लेकर विवादों में रहे हैं। रांची के कांके में पत्नी के नाम पर गैरमजरूआ जमीन की गलत तरीके से बंदोबस्ती कराकर उस पर घर बनाने के मामले में वह विवादों में रहे। इसके अलावा पलामू के बकोरिया कांड में भी उनपर संलिप्तता के आरोप लगे थे। सीबीआइ ने उन्हें आरोपित भी बनाया है। इस मामले में पुलिस पर आरोप है कि 2015 में 12 निर्दोष लोगों को नक्सली बताकर मुठभेड़ में मार दिया गया था।

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