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पुलिस से अपराधी काबू में नहीं आ रहे, तो समाज को कसना पड़ेगा इनपर नकेल 

सत्यम सिंह उर्फ मन्नू की हत्या का बदला फांसी से कम नहीं

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पुलिस से अपराधी काबू में नहीं आ रहे, तो समाज को कसना पड़ेगा इनपर नकेल 

सिटी पोस्ट लाइव : कल सोमवार को दोपहर बाद करीब चार बजे अपराधियों ने सत्यम सिंह उर्फ मन्नू जो कि बीएलएड का छात्र था को बेहद निकट से उसकी गर्दन में गोली मारकर उसकी ईहलीला खत्म कर दी। इस हत्या के बाद पूरा शहर उबल पड़ा और आक्रोशित विभिन्य चौक-चौराहे को जामकर ना केवल यातायात को ठप्प कर दिया बल्कि सहरसा बाजार को पूरी तरह से बन्द भी करा दिया। इस दौरान पुलिस कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। बाद में छातापुर बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू, पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना, पूर्व बीजेपी सहरसा विधायक संजीव झा, वार्ड पार्षद राजेश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों के समझाने-बुझाने से लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। थोड़ी देर के लिए सहरसा शब्जी मंडी में प्रदर्शनकारियों और शब्जी विक्रेताओं के बीच नोंकझोंक भी हुई। इसी बीच भीड़ में कुछ आसामाजिक तत्व घुस गए और शब्जी को फेंकने लगे। इससे आक्रोशित शब्जी विक्रेताओं ने जमकर पत्थरबाजी भी की। कुछ चक्र गोलियां भी इस दौरान चली, जिसकी पुष्टि करने से अधिकारी बचते रहे।इस हत्या में शामिल सात अपराधी चिन्हित हैं। खास कर एसपी राकेश कुमार की जिम्मेवारी बनती है कि वे अपने नेतृत्व में सभी अपराधियों को 24 घण्टे के भीतर गिरफ्तारी कर के उसपर स्पीडी ट्रायल चलवाकर उन्हें सजा करायें। जबतक अपराधी पकड़ में नहीं आते हैं,तबतक उसके परिजन को हवालात में बंद रखें। अगर पुलिस-प्रशासन की मंसा तटस्थ, पारदर्शी और कर्तव्यनिष्ठ है, तो वह कोई कोताही ना बरतें। गौरतलब है कि इस घटना को अंजाम देने वाले सारे अपराधियों की शिनाख्त हो चुकी है, इसलिए इसमें कोई देरी गंवारा नहीं होगा। सहरसा पुलिस रोजाना, हफ्ता और महीना वसूली में जुटी हुई है। बड़े वाहन से गस्ती हो,पैंथर गस्ती हो या फिर पैदल गस्ती हो,सभी का एक ही मकसद है कि किसी तरह से उगाही हो। अपराधियों की धड़-पकड़ की मंशा ही नहीं है किसी की। सहरसा के एसपी राकेश कुमार ने हमसे थोड़ा वक्त मांगा है और हमने शालीनता से उन्हें वक्त दिया है। निसन्देह वे कर्तव्यनिष्ठ और ईमानदार पदाधिकारी हैं।

घटना के बाबत मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार को सदर थाना के कोसी चौक और महाराणा प्रताप चौक के ठीक बीच में, जो अत्यंत भीड़ वाला मुहल्ला है, वहां गोलू सिंह नाम के लड़के की कुछ अपराधी मिलकर पिटाई कर रहे थे। हद की इंतहा देखिए कि आसपास के लोग इस मारपीट का आनंद ले रहे थे। कुंद पड़ी इंसानियत की वजह से कोई भी बीच-बचाव के लिए आगे नहीं आया। गोलू ने इसी बीच अपने बड़े भाई सत्यम सिंह को फोन कर दिया। मौका ए वारदात पर सत्यम अकेला पहुँचा। उसने अपने भाई को बचाने की भरपूर कोशिश की। इसी बीच थ्री नट से गर्दन में सटाकर एक गोली अपराधियों ने सत्यम को मार दी। स्थानीय लोग गोली की आवाज सुनकर दौड़े तबतक काफी देर हो चुकी थी।अपराधी वहां से फरार हो चुके थे। खून से लथपथ मन्नू को स्थानीय लोग जबतक सूर्या अस्पताल लेकर पहुंचे तभीतक उसकी जान जा चुकी थी। घटनास्थल पर एक अपराधी की बाईक भी छुट गयी थी। पुलिस की बिगड़ैल कार्यशैली का नमूना देखिए कि जहां लाश पड़ी थी, वहां 45 मिनट बाद पुलिस पहुंची।यही नहीं घटनास्थल पर पुलिस पांच घंटे के बाद पहुंची। यह पुलिसिंग है या फिर नाटक? अगर पुलिस ने अपनी आदत में सुधार नहीं किया, तो फिर समाज के लोग कानून को हाथ में लेने को विवश होंगे। बताना लाजिमी है कि कुछ क्षेत्रीय अखबार ने दिवंगत को पुलिस का मुखबिर और दलाल बताया है। हम यह जानना चाहते हैं कि थाने में आधा दर्जन से ज्यादा तथाकथित पत्रकार रोजाना बैठकी करते हैं। समाचार संकलन एक तो वे रोज नहीं करते हैं, दूजा समाचार संकलन में कितना वक्त लगता है। आखिर ऐसे पत्रकार घंटों किस मकसद से थाने में गुजारते हैं। मृतक मन्नू सिंह समाजसेवी था और समय-समय पर जरूरतमंद को ब्लड डोनेट करने के साथ-साथ गरीब मरीज के ईलाज में भी मदद करता था। सहरसा के थाना चौक पर बीजेपी विधायक नीरज कुमार बबलू, पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना, पूर्व विधायक संजीव झा, घण्टों अपने-अपने समर्थकों के साथ मौजूद रहे। इन नेताओं के समर्थक, अपनी मर्जी से जो जी में आ रहा था कर रहे थे। वैसे नेता के नाम पर अब ज्यादातर पैसे कमाने की मशीन बन बैठे हैं और उनके दलालों से कोई उम्मीद तो पूरी तरह से बेमानी है।

एसपी राकेश कुमार ने अभी दूरभाष पर जानकारी दी है कि तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। बांकि की गिरफ्तारी के लिए सदर एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी और सदर एसएचओ आर.के.सिंह छापेमारी में जुटे हैं ।इधर सूरवीर सांसद पप्पू यादव ने कहा है कि प्रदर्शन में शामिल ऐसे आसामाजिक तत्व जिन्होंने उत्पात मचाये हैं,उनपर कारवाई होनी चाहिए। जनाब को किसी की हत्या और गिरफ्तारी से शायद कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सिर्फ दूर की राजनीति सूझती है ।मृतक के घर में मातम पसरा हुआ है ।मृतक के पिता उमेश प्रसाद सिंह रह-रहकर बेहोश हो रहे हैं। दिवंगत के पैतृक गाँव सहरसा के जमुनियां में दाह-संस्कार की तैयारी की जा रही है।

सहरसा से पीटीएन ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह का विश्लेषण

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