अब अपराधी की बात कौन करे साहब !अब तो खुद नौकरशाह हवसी बन चुके हैं.अपराध को नियंत्रित करने की जिम्मेवारी संभाल रहे नौकरशाह ही जब खुद अपराधी की भूमिका निभाने लगें ,न्याय दिलाने की जगह खुद गुनाहगार बन जायें ,तो फिर क्या नतीजा निकालने वाला है ,चाहे सरकार अपराढ नियंत्रण के लिए कितना भी कठोर से कठोर कानून क्यों न बना ले.जब कानून लागू करने की जिम्मेवारी ईमानदार हाथों में न हो तो ऐसे में न्याय की उम्मीद ही बेमानी लगती है.पेश है कटिहार से सिटीपोस्टलाईवडॉटकॉम की विशेष रिपोर्ट ———-
सिटीपोस्टलाईव:केवल अपराधी ही नहीं बल्कि राज्य के कुछ नौकरशाह भी यौनाचार के मामले में पीछे नहीं हैं.कटिहार में अपर समाहर्ता के पद पर तैनात एडीम रैंक के अधिकारी जफ़र रकीब के ऊपर अपने ही दफ्तर के एक कर्मचारी के साथ जबरन अप्राकृतिक यौवानाचार करने का संगीन आरोप लगा है.कटिहार जिले के बारसोई में प्रतिनियुक्त एक क्लर्क संजय कुमार ने अपने एडीएम जफ़र रकीब पर यह आरोप लगाया है. एडीएम ने प्यार से घर बुलाया .घर पर खूब खातिरदारी की.संजय को लगा साहब बड़े दिल वाले हैं.लेकिन खाना खाने के अगले पल ही एडीएम साहब का असली चेहरा सामने आ गया .एडीएम ने उसके साथ जबरन यौवानाचार शुरू कर दिया .
कहाँ एक एडीएम रैंक का आधिकारी और कहाँ एक अदना सा कर्मचारी ,भला कितनी हिम्मत जुटा पाता विरोध करने का.ऊपर से दरवाजे के बाहर तैनात बंदूकधारी संतरी और बड्डीगार्ड का डर .इज्जत नहीं बचा पाया,जान तो बच जाए.लेकिन उसे लगा ऐसे एक हवशी अधिकारी को ऐसे ही छोड़ देना ठीक नहीं होगा .पता नहीं और कितने लोगों को अपने हवस का शिकार बनायेगा ? संजय कुमार ने एक पत्र के जरिये सारी जानकारी डीएम साहब को देने का फैसला ले लिया .डीएम ने मामले पर संज्ञान लिया.एसपी का फोन घन-घना उठा.आदेश हुआ एडीएम के खिलाफ मामला दर्ज हो..पुलिस ने तुरत संजय को थाने बुलाया.पूछताछ हुई और एडीएम के खिलाफ मामला दर्ज हो गया.
लेकिन अभीतक दोषी एडीएम के खिलाफ कोई ठोस कारवाई नहीं हुई है.पुलिस का कहना है कि जांच चल रही है.जांच पूरी होने के बाद कारवाई की जायेगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल –क्या ऐसे संगीन आरोप किसी आम आदमी पर लगने के बाद भी पुलिस कारवाई करने के लिए जांच रिपोर्ट का इंतज़ार करती है? जी बिलकुल नहीं.आरोपी अगर एडीएम की जगह एक आम आदमी होता तो अबतक वह थाने की हाजत में कराह रहा होता .पुलिस उसकी चमड़ी उधेड़ चुकी होती.
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