झारक्राफ्टः कंबल खरीद मामले में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 18 करोड़ 41 लाख का भुगतान
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड में झारक्राफ्ट के अधिकारियों ने आठ लाख 89 हजार कंबल के लिए ऊनी धागे, मजदूरी, परिसकरण और परिवहन संबंधी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 18 करोड़ 41 लाख रुपये का भुगतान कर दिया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर प्रतिवेदन 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए वर्ष के लिए झारखंड विधानसभा में गुरूवार को पेश किया गया। प्रतिवेदन में कहा गया कि झारखंड सरकार के श्रम नियोजन और प्रशिक्षण विभाग ने झारखंड रेशम वस्त्र एवं हस्तशिल्प विकास निगम (झारक्राफ्ट) को 29 करोड़ 48 लाख रुपये मूल्य के 982717 ऊनी कंबल की आपूर्ति का आदेश नवम्बर 2016 और मई 2017 में दिया था। झारक्राफ्ट ने विभिन्न स्वयं सहायता समूहों, प्राथमिक बुनकर सहकारी समितियों को कंबल बुनाई के लिए धागा और हथकरघा देने की योजना बनायी। जिससे बुनकरों को रोजगार मिल सके। इसके बाद नूतन इंडस्ट्री पानीपत द्वारा अर्द्धपरिष्कृत कंबल धोये एवं परिष्कृत किये जाने थे और इसके बाद तैयार कंबलों को झारखंड के विभिन्न जिलों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों में वितरण के लिए सुपर हरियाणा रोड लाइंस, पानीपत और स्पीड फास्ट कूरियर और कार्गो सर्विसेज रांची द्वारा परिवहन किया जाना था। झारक्राफ्ट ने जनवरी 2018 तक इसके लिए 19 करोड़ 39 लाख रुपया व्यय किया।
प्रतिवेदन में कहा गया है कि लेखा परीक्षा से ज्ञात होता है कि अधिकृत लेन-देन एक कपोलकल्पित कहानी थी और झारक्राफ्ट के अधिकारियों द्वारा कहीं और से निम्न कोटि के कंबल खरीद कर उपायुक्तों के माध्यम से 24 जिलों में बीपीएल श्रेणी के लाभुकों में वितरित किया गया था।
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