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आईसीयू में डॉक्टरों ने परिजन के भरोसे मरीज को छोड़ा, मौत

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आईसीयू में डॉक्टरों ने परिजन के भरोसे मरीज को छोड़ा, मौत

सिटी पोस्ट लाइव : आयुष्मान योजना के तहत जिस गोल्डन कार्डधारी मरीज अशोक चौहान से 50 हजार रुपए की दलाली मांगी गई थी, शुक्रवार को उसकी मौत हो गई। इस बार डॉक्टरों ने मौत का कारण परिजन की ही लापरवाही बताया है। न्यूरो आईसीयू में मरीज के गर्दन में लगे कॉलर को स्टेबल रखने की जिम्मेदारी मरीज के परिजन को ही दे दी गई। परिजन समझ नहीं पाए और अंतत: मरीज की मौत हो गई। छत से गिरने के कारण अशोक के टूटी गर्दन की हड्डी का 5 अक्टूबर को डॉ. सीबी सहाय ने ऑपरेशन किया था। उसके गर्दन में फिलाडेलफिया नेक कॉलर लगाया गया था, ताकि गर्दन को स्टेबल रखा जा सका। अशोक की पत्नी  लालपरी देवी दो छोटे बच्चों के सहारे मरीज को छोड़कर घर चली गई थी। परसों रात दो बजे मरीज होश में था। उसके हाथों में ताकत आ चुकी थी और उसने अपने लगे में लगे कॉलर निकालने लगा। परिजनों ने नर्स को बुलाया, फिर से कॉलर लगाया गया। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम से स्थिति खराब हो गई। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन उसकी मौत हो गई। अब डॉक्टर-नर्स कह रहे कि परिजन ध्यान देते तो मरीज की मौत नहीं होती।

पहले इंप्लांट के लिए मांगा 50 हजार, फिर मुफ्त हुई सर्जरी : अशोक चौहान के पास आयुष्मान भारत का गोल्डन कार्ड था। लेकिन परिजन से इंप्लांट खरीद कर लाने के लिए कहा गया। अस्पताल की ओर से एक नंबर दिया गया, जिसने 50 हजार मांगे। खबर प्रकाशित होने के अगले ही दिन रिम्स में उसकी नि:शुल्क सर्जरी की गई।  एक दिन में ही लोकल टेंडर पर इंप्लांट की खरीदारी हुई। डाॅ सहाय की ओटी तिथि नहीं होने के बाद भी मरीज की सर्जरी की गई। जिस इंप्लांट के लिए मरीज के परिजन काे 50 हजार का इस्टीमेट दिया गया था, उसी इंप्लांट को कंपनी के अधिकृत सप्लायर ने मात्र 37,100 रु. में उपलब्ध कराया।

गर्दन बिल्कुल मूव नहीं करने के लिए कहा था : डॉ. सीबी सहाय ने बताया कि अशोक चौहान रिकवर कर रहे थे। मरीज की पत्नी लालपरी देवी दो दिन पति को बच्चे के साथ छोड़कर लोहरदगा चली गई। इस बीच मरीज ने गर्दन को मूव किया, जबकि कहा गया था कि अगले निर्देश तक गर्दन को बिल्कुल मूव नहीं करना है। ज्यादा मूवमेंट की वजह से कॉलर टूट गया और उसे रेस्पिरेटरी में प्रॉब्लम होने लगी।

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