सिटी पोस्ट लाइव, एटा: उत्तर प्रदेश के जनपद एटा में बुधवार को ग्राम खरसुलिया और फर्रूखाबाद नौली गांव में सड़क के विवाद को लेकर झगड़ा हुआ। मारपीट और फायरिंग के मामले में पुलिस ने अब तक 17 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इस दौरान दस तमंचे,20 जिंदा कारतूस, चार ट्रैक्टर-ट्राली एक मोटर साइकिल बराम किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि पुलिस ने गांव की तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए क्षेत्र में भारी फोर्स तैनात की है।
विदित हो कि बुधवार को नयागांव थानाक्षेत्र के गांव खरसुलिया से फर्रूखाबाद जिले के सीमावर्ती गांव नौली के लिए जानेवाले लिंकमार्ग का नौली के ग्रामीणों द्वारा निर्माण किये जाने के विरोध करने पर खरसुलिया व नौली के ग्रामीण आमने-सामने आ गये थे। इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से वहां पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष हुई सैकड़ों राउण्ड फायरिंग में तीन व्यक्ति घायल हुए थे। मामले में नयागांव के एसआई रघुवीर सहाय ने असलाहों से लैस हो पुलिस कार्य में बाधा, जान से मारने की नीयत से फायरिंग, धारा 144 का उल्लंघन व संक्रमण फैलाने का प्रयास के आरोप में 150-200 लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी अंकित कराई थी।
राजस्व अभिलेखों में भिन्न-भिन्न विवरण है विवाद की जड़
इस मामले में यह भी सामने आया है कि जिस कथित सड़क के बनने, न बनने का विवाद है उसके मूल में दो तहसीलों के राजस्व अभिलेखों में दर्ज भिन्न-भिन्न विवरण ही कारण है। कायमगंज तहसील के विवरण नौली से खरसुलिया तक लिंकमार्ग का होना दर्शाते हैं। जबकि अलीगंज तहसील के विवरणों में ऐसा कोई उल्लेख ही नहीं है। इस कथित सड़क का निर्माण भी लोगों के अनुसार वर्ष 1990-92 में सपा के शासनकाल में हुआ है। लोगों के अनुसार तब भी खरसुलिया के लोगों ने इस निर्माण का विरोध किया था। किन्तु सपाई दबंगई के चलते वे कुछ न कर सके। बीते चार जून को खरसुलिया निवासियों द्वारा कथित रूप से इस सड़क को ध्वस्त किये जाने के बाद नौली वासियों ने जाम आदि लगाकर प्रदर्शन किये थे। तब एटा के जिलाधिकारी ने उन्हें बैठकर सर्वमान्य समाधान निकालने का आश्वासन दिया था। किन्तु 20 दिन की प्रतीक्षा के बाद भी जब जिलाधिकारी स्तर से किसी पहल के संकेत न मिले तो बुधवार को नौलीवासियों ने विधायक विरोधी राजनेताओं की शह पर स्वयं सड़क निर्माण की पहल कर इस विवाद को जन्म दे डाला।
जातीय तनाव में बदलने का प्रयास
इस मामले का एक घातक पक्ष यह भी है कि एक पक्ष के लोग एक जाति के हैं। दूसरे पक्ष के दूसरी जाति के। ऐसे में कुछ राजनेता इस पूरे मामले को जातीय तनाव में बदलने का भी प्रयास कर रहे हैं। ऐसे ही एक जातीय नेता का नाम पुलिस की प्राथमिकी में भी आया है।
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