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विशेष : प्रशासन पर भारी बाबाओं की सजा

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सिटी पोस्ट लाइव : बाबाओं पर आए दिन कोई न कोई आरोप लगते ही रहते हैं. कभी लोगों को चमत्कार दिखाकर ठगने का, तो कभी दुष्कर्म और हत्या जैसे संगीन आरोप. इस कारण देश में दिन प्रतिदिन उनकी छवि खराब होती जा रही है. नतीजा सच्चे और अच्छे बाबाओं को भी लोग गलत निगाह से देखते हैं. ये भी सत्य है कि जो गुनाहगार हैं उसे सजा मिलनी चाहिए, लेकिन जब सजा या फैसले की बारी आती है तो देश की सरकार से लेकर शहर की प्रशासन भी हाई अलर्ट पर रहती है. कुछ ऐसा ही नज़ारा आजकल जोधपुर में देखने को मिल रहा है. बुधवार यानि कल देश के सबसे बड़े दिग्गज बाबा जिसे लोग अगरबत्ती दिखाकर पूजते हैं. उनपर सजा सुनाई जाएगी. जिसे लेकर राज्य सरकार से केंद्र सरकार तक खौफजदा है. सब के दिल में बस एक ही बात है कि आखिर सजा के बाद उनके चाहने वाले क्या कर जायेंगे. हालांकि इसके लिए सारी तैयारी पूरी कर ली गई है. जोधपुर शहर के सभी लोगों को हिदायत दी गई है कि कृपया अपने घर में ही आराम से रहें, टीवी देंखे, खाना खाएं और खूब सोयें. क्योकि आपके अपने जोधपुर शहर में धारा 144 अर्थात कर्फ्यू लगा दी गई है. वैसे लगाये भी क्यों न जनाब, भूल गए सिरसा में क्या हुआ था. बाबा राम रहीम पर फैसले के बाद जो सिरसा में तबाही मची थी उसमें खुद पंजाब सरकार और हरियाणा सरकार कठघरे में खाड़ी हो गई थी. तो ऐसी परिस्थिति में राजस्थान सरकार क्यों न डरे.

आइये एक नजर डालें बाबा राम रहीम के चेलों ने कितनी तांडव मचाई थी.

25 अगस्त को सीबीआई कोर्ट ने पंचकूला में डेरा चीफ को दो रेप केस में दोषी करार दिया था. जैसे ही डेरा चीफ राम रहीम को कोर्ट ने दोषी करार दिया तो उसके समर्थक भड़क गए. उन्होंने पंचकूला, सिरसा, कैथल, फतेहाबाद और पानीपत में तोड़फोड़ और आगजनी की थी. घटना में 38 लोगों की मौत हुई थी. 264 लोग  घायल हुए थे.  हिंसा के बाद पुलिस ने 926 लोगों को अरेस्ट किया था. इतना ही नहीं राम रहीम के चेलों ने पंजाब और हरियाणा सरकार पर आरोप लगते हुए, 200 की हत्या करने का आरोप लगा दिया. डेरा समर्थकों ने कहा कि हिंसा सरकार की गलती से हुई. अपनी कमियों को छिपाने के लिए सरकार ने निहत्थे डेरा समर्थकों पर गोलियां चलवाई. इसमें करीब 200 लोग मारे गए. अब क्या सच है ये सरकारी आंकड़ो पर निर्भर करता है. क्योंकि सरकार इन बातों को झूठ मानती है.

अब आइये जानें कि आसाराम पर क्या है आरोप और कब से लटके हैं सजा पाने के लिए.

आसाराम पर 14 अगस्त 2013 को एक 12 वीं की छात्रा के साथ भूत-प्रेत उतारने के नाम पर बलात्कार करने का आरोप है. 1 सितम्बर 2013 को आसाराम की गिरफ्तारी की गई थी और इसके बाद तब से लेकर वो अब तक जोधपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं और लगातार अपनी रिहाई के लिए कोर्ट और जेल के चक्कर में फंसे थे. लेकिन कोर्ट ने उनकी रिहाई की एक भी दलील पास नहीं होने दी. होता भी कैसे बलात्कार जैसे संगीन जुर्म के लिए लोग जहां फांसी की सजा मांग रहे हैं, वहां रिहाई की बात नागवार है. उनके इस कुकर्म ने पुत्र से लेकर आश्रम तक को बंद करवा दिया. परत दर परत उनके काले कारनामे जग-जाहिर हो होते चले गए. अंतत इस बलात्कार के मामले में आसाराम के ऊपर कोर्ट में 7 अप्रैल को सुनवाई पूरी हो गई. लेकिन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसपर कल बुधवार को सजा सुनाया जायेगा. हालांकि प्रशासन और कोर्ट ने भय के कारण आसाराम को सजा जेल में रहते हुए ही सुनाएगी. कोर्ट नहीं    चाहती कि जोधपुर सिरसा बन जाये. बहरहाल अब कल देखना है कि सरकार और प्रशासन इस परिस्थिति को कैसे संभाल पाते हैं.

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