कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन व सोशल डिस्टेसिंग ही एकमात्र उपाय: रामेश्वर
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह खाद्य आपूर्ति तथा वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा है कि राज्य में संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस कोरोना वायरस कोविड-19 की कोई दवा नहीं है, लॉकडाउन की एकमात्र उपाय है, सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर ही इस संक्रमण पर अंकुश पाया जा सकता है। खासकर रांची और बोकारो जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए वैसे जिलों में ही लॉकडाउन में छूट दी जा सकती है,जहां कोराना संक्रमित मरीज सामने नहीं है या सिर्फ बाहर से आने वाले एक-दो लोग ही संक्रमित है।
डॉ. उरांव ने सोमवार को झारखंड मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सुरक्षाकर्मियों, डॉक्टर और नर्स-स्वास्थ्यकर्मियों और सफाई कर्मियों के भी कोरोना संक्रमित होने पर चिंता जताते हुए कहा कि जब विधि व्यवस्था संभालने या चिकित्सा में लगे डॉक्टर-नर्स और सफाईकर्मी ही संक्रमित हो जाएंगे, तो स्थिति को संभालने वाला व्यक्ति कहां से आएगा, इसलिए सभी को सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना चाहिए, डॉक्टर और नर्स पीपीई पहन करें और अन्य सुरक्षा मानकों का पालन करें। उन्होंने बताया कि सुरक्षा में लगे जवानों को भी रास्ते में कई लोगों को रोकने के लिए हाथ लगाना पड़ता है, इसलिए आज उन्होंने डीजीपी से भी कहा है कि सुरक्षाकर्मियों के लिए ग्लब्स मुहैय्या कराएं, वहीं सभी लोग साबून से हाथ धोते रहे, समय-समय पर सैनिटाइजर का प्रयोग करें, वे खुद भी फाइल को हाथ में लेने के बाद सैनिटाइजन से हाथ की सफाई करते है। सावधानी और सोशल डिस्टेसिंग से ही इस संक्रमण से बचाव संभव है।
राजस्थान के कोटा से छात्रों को वापस लेने के संबंध में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि सरकार दूसरे राज्यों में फंसे छात्र-छात्राओं को वापस लाना चाहती है, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस संबंध में आज प्रधानमंत्री से भी वीडियो कांफ्रेसिंग से बातचीत कर रहे है। उन्होंने कहा कि सिर्फ कोटा ही नहीं, बल्कि दिल्ली, बेंगलुरू और चेन्नई समेत अन्य शहरों में फंसे छात्र-छात्राओं को भी वापस लाने पर विचार किया जा रहा है, इस संबंध में उनका कई अभिभावकों से भी बातचीत हुई है, लेकिन दूसरे राज्यों से विद्यार्थियों को वापस लाने में इंटर स्टेट अनुमति की जरूरी है, इस संबंध में केंद्र सरकार के आदेश का पालन सुनिश्चित कर ही राज्य सरकार आगे की कार्रवाई कर सकती है।
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