पलामू में लॉक डाउन व सोशल डिस्टेसिंग का सख्ती से हो रहा है पालन
सिटी पोस्ट लाइव, रांची: कोरोना वायरस का संक्रमण झारखंड के 10 जिले में फैला है लेकिन राज्य के अभी भी 14 जिले इससे अछूते है। राजधानी रांची ही इसका केन्द्र बिंदु बनकर उभरा है। रांची के हिन्दपीढ़ी हॉट स्पॉट बना हुआ है और इसका असर राज्य के विभिन्न जिलों तक भी पहुंचा है।आमजनों को पग-पग पर मौत दिख रही है। प्रत्येक कदम संक्रमण की दहलीज से कितना बच पायेगा, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। ऐसे में हम बात करेंगे झारखंड के पलामू की। पलामू प्रमंडल है, जिसके अंतर्गत तीन जिले पलामू, गढ़वा व लातेहार आते हैं। पलामू में लोगों को जागरूक करने के भी अलग अलग तरीके अपनाये जा रहे है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से सड़क पर कोरोना व यमराज एक साथ उतरकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
इसके अलावा कोरोना से जागरूकता के लिए पोस्टर, बैनर से शहरी व ग्रामीण क्षेत्र पटा है। वहीं हैंडबिल के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। पलामू हमेशा से आकाल, सुखाड़, की चपेट में रहा है। यहां के लोग हर वर्ष नई-नई समस्याओं से जुझते रहे हैं। पलामू आकाल घर भी कहा जाता रहा है। इतिहासकार, साहित्यकारों की मानें तो पलामू का नाम जेहन में आते ही आकाल, सुखाड़ का तस्वीर घर करने लगती है। 1859, 1890, 1918, 1973 में पलामू में आकाल सामने आयी है। वहीं अनावृष्टि के कारण भी पलामू के लोगों को त्राहिमाम करना पड़ा है। वर्ष 2020 की शुरूआत में ही अतिवृष्टि व अत्यधिक ओले ने पलामू वासियों को चोट पहुंची है। ओले भी ऐसी पड़ी कि पलामू की धरती पर कश्मीर का नजारा दिखने लगा। कुछ पल के लिए कश्मीर का एहसास तो जरूर हुआ, लेकिन उन किसानों की कमर टूट गयी, जिसने अपने खून-पसीने से खेतों को सिंचकर फसल की थी। तैयार फसल घर लाने की तैयारी ही चल रही थी, कि कुदरत का कहर बरपा और फसल बर्बाद हो गयी।
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लेकिन पलामू प्रशासन ने किसानों के घाव पर मरहम लगाया। फसल नष्ट होने की मुआवजा राशि प्रदान की, जिससे किसानों की समस्याएं दूर हुई। खुद की सुरक्षा की चिंता लोग कर ही रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संक्रमण की गंभीरता को समझा। उन्होंने संक्रमण से बचाव के लिए हर जंग को जनता के माध्यम से जितने की ठान ली। प्रधानमंत्री ने जनता करफ्यू का ऐलान किया। पूरे देशवासियों के साथ पलामूवासियों ने भी इसका स्वागत किया। पूरे पलामू प्रमंडल में जनता कफ्यू सफल रहा। प्रधानमंत्री के इस आह्वान मात्र से ही पूरे देशवासियों की निगाहें प्रधानमंत्री पर टिक गयी। फिर क्या था, उन्होंने भी एक अच्छे नेतृत्वकर्ता/जनप्रतिनिधि की भूमिका निभायी। जनता कफ्यू से स्थिति पर नियंत्रण की मार्ग सूझा। इसके बाद उससे बड़ा फैसला लिया और 24 मार्च 2020 से पूरे देश में लॉक डाउन की घोषणा की। पलामू में पहले दिन के लॉॅक डाउन से ही यहां की भयावता की गंभीरता झलकी। आमजनमानस में चर्चा छिड़ी की हमेशा से आकाल, सुखाड़, अतिवृष्टि से पलामू के लोग ऐसे ही त्राहिमाम करते रहे हैं। वर्ष दर वर्ष सुखाड़ की स्थिति रही। ऐसे में कोरोना की जंग को कैसे जिता जा सकेगा।
पलामू जिला के उपायुक्त डॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि के नेतृत्व में पूरी प्रशासनिक टीम मिलकर करीब एक माह से अधिक तक कोरोना वायरस के बढ़ते फैलाव पर ब्रेक आने का प्रयास करते रहे और अभी तक जिले में केवल तीन कोरोना वायरस मरीज पाए गए हैं। स्थानीय जिला प्रशासन ने इसे चुनौती के रूप में लिया। पलामू में आकाल, सुखाड़ जैसी दाग फिर न लगे, इसके लिए हर लोहा लेने को ठाना। जिला प्रशासन के कर्मियों का भी साथ था। आमजनमानस का भी सहयोग मिला, और पलामू प्रमंडल मेंअबतक कोरोना का फैलाव नहीं होने दिया है। सरकारी सख्ती से ही कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव पर अबतक ब्रेक लगाने में पलामू प्रशासन सफल भी रहा है। लॉक डाउन और सामाजिक दूरी का यहां सख्ती से अनुपालन किया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि ऐसी विषम परिस्थिति जब मानवता खुद की रक्षा के लिए चिंता कर रहा हो, वैसे में पलामू के कोरोना वॉरियर्सो ने खुद की रक्षा के साथ पलामूवासियों की चिंता की। खाद्यान्न पहुंचाने से लेकर कई योजनाएं शुरू की गयी। आमलोगों के हर सुविधा का ख्याल रखा गया। चाहे वह पका भोजन की हो या राशन देने की बात। सबकुछ जनता के घर पहुंचने लगा। कोई भी व्यक्ति एक टाइम भी खाने की मुहताज नहीं हो, इसके लिए सबकुछ निःशुल्क व्यवस्था होने लगी, जो लगातार जारी भी है। पंचायतों में मुख्यमंत्री दीदी किचन, जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंडों में दाल-भात केन्द्र व थानों में कम्यूनिटी किचन के माध्यम से आमजनों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
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